प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: पचड़ा पंचायत भवन शिव मंदिर प्रांगण में रविवार को चंद्रगुप्त कोल परियोजना से संबंधित एक महत्वपूर्ण ग्राम सभा का आयोजन किया गया. बैठक में बुकरू, सिझुआ, पचड़ा और नवाखाप गांवों के लगभग पांच सौ महिला-पुरुष रैयतों ने भाग लिया. सभा का मुख्य उद्देश्य भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत अपने अधिकारों को लेकर चर्चा करना और आगामी कदम तय करना रहा. बैठक में उपस्थित भू-रैयतों ने एक स्वर में कहा कि जब तक भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की अनुसूची 1, 2 और 3 में निहित सभी प्रावधानों का पूर्ण पालन नहीं होता, तब तक चंद्रगुप्त कोल परियोजना का विरोध न्यायिक प्रक्रिया के तहत जारी रहेगा. ग्रामीणों ने कहा कि जमीन का मुआवजा तय किए बिना और भुगतान किए बिना किस अधिकारी के आदेश से परियोजना स्थल पर कंटेनर गिराया गया, यह स्पष्ट नहीं है. ग्रामसभा में यह बात भी उठी कि जमीन के कागजात उपायुक्त हजारीबाग के पास जमा हैं और अब तक दर निर्धारित नहीं हुआ है.
भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि जब तक कम से कम 80 प्रतिशत मुआवजा नहीं दिया जाता, तब तक उपायुक्त नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सकते. सभा में निर्णय लिया गया कि रैयतों का एक प्रतिनिधिमंडल सभी प्रमाणों और दस्तावेजों के साथ इस सप्ताह हाईकोर्ट, रांची में कंपनी के खिलाफ याचिका दाखिल करेगा. बैठक में उपस्थित ग्रामीणों ने न्यायिक लड़ाई के लिए आर्थिक योगदान भी दिया और कानूनी प्रक्रिया का समर्थन किया. सभा में यह भी मांग की गई कि सीसीएल (केंद्रीय कोलफील्ड्स लिमिटेड) प्रबंधन ग्रामीणों के साथ आपसी सौहार्दपूर्ण वातावरण में वार्ता करे और उचित मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करे. ग्रामीणों ने साफ कहा कि वे किसी भी हालत में अपने अधिकारों से समझौता नहीं करेंगे और कानूनी प्रक्रिया के तहत संघर्ष जारी रखेंगे. ग्रामसभा में बड़ी संख्या में रैयतों की एकजुटता और उनके अधिकारों के प्रति सजगता यह दशांती है कि आने वाले समय में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवाद को लेकर आंदोलन तेज हो सकता है.
यह भी पढ़े:हजारीबाग लोकसभा के परियोजना प्रभावित गांवों की समस्याओं को अविलंब समाधान की मांग