न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: रूस और यूक्रेन युद्ध रुकवाने का वैश्विक प्रयास हो रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति तो मानो खुद को संघर्ष विराम स्पेशेलिस्ट माने बैठे हैं, लेकिन उनका पहला प्रयास बेकार हो चुका है. ट्रंप के प्रयास के असफल होने की सबसे बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि इस युद्ध विराम में अपने लिए लाभ ढूंढ रहे हैं. रूस और यूक्रेन अमेरिकी स्वार्थ को अच्छी तरह से समझ रहे हैं. वैसे तो रूस अपनी शर्तों पर युद्ध विराम पर अड़ा हुआ है, लेकिन यूक्रेन अब चाहने लगा है कि किसी प्रकार यह युद्ध विराम हो जाये.
ऐसे में यूक्रेन को आशा की किरण के रूप में भारत ही नजर आ रहा है. यूक्रेन ने भारत से और इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान भी कर दिया है. भारत में यूक्रेन के राजदूत अलेक्जेंडर पोलिशचुक ने तो कह भी दिया है कि यूक्रेन संभावित शांति वार्ता में भारत को एक महत्वपूर्ण देश मान रहा है. बता दें कि पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर कहा था कि भारत युद्ध में तटस्थ नहीं है, शांति के लिए राजनीतिक संवाद का पुरज़ोर समर्थन करता है. पीएम मोदी के इस रुख की यूक्रेन के राजदूत ने सराहना की है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी इस दिशा में संवाद बनाये रखेंगे.
हालांकि यूक्रेन के राजदूत अलेक्जेंडर पोलिशचुक ने जेलेंस्की की भारत यात्रा करने की किसी सम्भावना पर कुछ कहने से इनकार किया है. मगर उन्होंने आशा व्यक्त की कि अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बाद हो सकता है कि वह भारत आने का कोई ऐलान करें. अगर जेलेंस्की भारत दौरे पर आते हैं तो रूस और यूक्रेन युद्ध में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है. क्योंकि चाहे जेलेंस्की हों या फिर पुतिन किसी ने अब तक स्पष्ट रूप से युद्ध विराम को लेकर भारत से सीधी अपील नहीं की है. जेलेंस्की का भारत आना यह साबित करेगा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति अब चाह रहे हैं कि भारत अब सीधे-सीध युद्ध विराम के लिए कुछ करे.