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रांची/डेस्क: भारत सरकार ने बीते संसद के मॉनसून सत्र में तीन आपराधिक विधेयकों को पेश सदन में पेश किया था. जिसको लेकर राजनीतिक हलकों में भूचाल मचा हुआ है. केन्द्र सरकार का कहना है कि उसने राजनीतिक शुचिता लाने के लिए यह विधेयक पेश किया है, जबकि विपक्ष का आरोप है कि वह इस कानून को हथियार बनाकर राज्य सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास करेगी. देश में यह मुद्दा काफी गरमाया है. सरकार ने जो विधेयक पेश किया है, उसके अनुसार अगर किसी मंत्री, मुख्यमंत्री यहां तक कि प्रधानमंत्री को पांच साल की जेल होती है और वह 30 दिनों तक जेल में रह जाता है तो 31वें दिन उसे या तो कुर्सी खुद छोड़नी होगी या उसका पद स्वतः समाप्त हो जायेगा.
इस बीच Association for Democratic Reforms (ADR) ने एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें देश के कई राज्यों के मौजूदा मुख्यमंत्रियों का कच्चा चिट्ठा खोला है. यानी यह रिपोर्ट यह बताने के लिए पर्याप्त है कि इस विधेयक को लेकर विपक्ष के माथे पर पसीना क्यों आया हुआ है. एडीआर ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के आपराधिक रिकॉर्ड को उजागर किया है. बता दें कि ये वे आंकड़े हैं जो चुनाव के वक्त अपना नामांकन करते हुए इन्होंने ही दाखिल किये थे. मुख्यमंत्रियों के आपराधिक मामलों में हत्या के प्रयास, अपहरण, रिश्वतखोरी, आपराधिक धमकी और चुनाव प्रभावित करने जैसे गंभीर आरोप भी हैं.
किस मुख्यमंत्री पर कितने आपराधिक केस?
- रेवंत रेड्डी (मुख्यमंत्री तेलंगाना) - एडीआर की लिस्ट के अनुसार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का सबसे ज्यादा कुल 89 आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें 72 गंभीर आईपीसी मामले हैं.
- एम.के. स्टालिन ( मुख्यमंत्री तमिलनाडु) - 47 आपराधिक मामले
- चंद्रबाबू नायडू (मुख्यमत्री आंध्र प्रदेश) - 19 आपराधिक मामले
- सिद्धारमैया (मुख्यमंत्री कर्नाटक) - 13 आपराधिक मामले
- हेमंत सोरेन (मुख्यमंत्री झारखंड) - 5 आपराधिक मामले
- देवेंद्र फडणवीस (मुख्यमंत्री महाराष्ट्र) - 4 आपराधिक मामले
- सुखविंदर सिंह (मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश) - 4 आपराधिक मामले पिनाराई विजयन (मुख्यमंत्र केरल) - 2 आपराधिक मामले
- पीएस तमांग (मुख्यमंत्री सिक्किम) - 1 आपराधिक मामला
- भगवंत मान (मुख्यमंत्री पंजाब) - 1 आपराधिक मामला
- मोहन चरण मांझी (मुख्यमंत्री ओडिशा) - 1 आपराधिक मामला
- भजन लाल शर्मा (मुख्यमंत्री राजस्थान) - 1 आपराधिक मामला