न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: पब्लिक स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने झारखंड सरकार से मांग की है कि राज्य में कोचिंग संस्थानों पर सख़्त और पारदर्शी नियमावली लागू की जाए. उन्होंने कहा कि छात्रों और अभिभावकों के हित में अब कठोर कानून बनाना समय की मांग है. कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक बच्चों की भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए नॉन स्कूलिंग किसी भी परिस्थिति में पूरी तरह से बैन होना चाहिए.एक महीने के अंदर कोचिंग छोड़ने वाले बच्चों का पूरा फीस वापस होने का प्रावधान किया जाना चाहिए, कोचिंग संचालन का समय द्वितीय पाली से रात्रि 8.00 बजे तक समय निर्धारित हो.
1. पंजीकरण और सरकारी अनुपालन
आलोक दूबे ने कहा कि कोचिंग संस्थान राज्य शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार पंजीकृत हों और सभी सरकारी व स्थानीय प्राधिकरणों के दिशा-निर्देशों का पालन करें. जहां-जहां कोचिंग रेगुलेशन एक्ट लागू है वहां उसके तहत पंजीकरण अनिवार्य किया जाए. साथ ही हर साल संस्थानों का निरीक्षण और ऑडिट भी कराया जाए.
2. फीस और वित्तीय पारदर्शिता
उन्होंने कहा कि फीस संरचना पूरी तरह पारदर्शी हो और इसे सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाए. हर भुगतान पर रसीद देना अनिवार्य हो तथा बीच सत्र में फीस बढ़ाने पर रोक लगे. रिफंड और कैंसलेशन की प्रक्रिया सरकार की नीति के अनुसार होनी चाहिए. किसी भी संस्थान को कैपिटेशन फीस, डोनेशन या छुपे हुए चार्ज लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
3. शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षक
पासवा अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षण कार्य की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए योग्य और अनुभवी शिक्षकों की नियुक्ति हो तथा सभी शिक्षकों और स्टाफ का बैकग्राउंड वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए. क्लास का शेड्यूल और अवधि सरकार द्वारा तय सीमा से बाहर न जाए और एक बैच में निर्धारित संख्या से अधिक छात्रों को शामिल न किया जाए. आधी रात में सरप्राइज टेस्ट या अवैध क्लास पर पूरी तरह रोक लगाई जाए. अध्ययन सामग्री प्रमाणिक हो और कॉपीराइट नियमों का पालन करे. वहीं, डिजिटल और ऑनलाइन क्लास प्लेटफॉर्म आईटी और शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुरूप संचालित हों.
4. छात्र सुरक्षा और सुविधा
उन्होंने कहा कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए. कक्षाओं में सुरक्षित, स्वच्छ और हवादार वातावरण उपलब्ध कराया जाए. सभी कोचिंग संस्थानों में सीसीटीवी कैमरे और उपस्थिति मॉनिटरिंग सिस्टम अनिवार्य हों. छात्राओं की सुरक्षा और शिकायत निवारण व्यवस्था प्रभावी हो. अग्नि सुरक्षा उपकरण लगाए जाएं और उनका नियमित निरीक्षण हो. साथ ही स्वच्छ पेयजल, शौचालय और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था भी हो. परिवहन सुविधा यातायात नियमों के अनुसार होनी चाहिए और यदि हॉस्टल की सुविधा दी जाती है तो वह सुरक्षित, स्वच्छ और सरकारी मानकों के अनुसार हो. एंटी-रैगिंग और एंटी-बुलिंग नीति को सख़्ती से लागू किया जाए. छात्रों को मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न से बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और हर छात्र के लिए आईडी कार्ड और उपस्थिति रिकॉर्ड अनिवार्य किया जाए.
5. पारदर्शिता और जवाबदेही
आलोक दूबे ने कहा कि संस्थान अभिभावकों को छात्रों की प्रगति की जानकारी नियमित रूप से दें और झूठे वादों या भ्रामक विज्ञापनों के जरिए छात्रों को गुमराह न करें. सभी संस्थानों में आपातकालीन और शिकायत निवारण हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित हों. छात्रों की व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रखी जाए और डेटा प्रोटेक्शन नियमों का पालन किया जाए. जो संस्थान नियमों का उल्लंघन करें, उन पर भारी जुर्माना, निलंबन या लाइसेंस रद्द करने जैसी सख़्त कार्रवाई की जानी चाहिए.
6. कठोर कानून की मांग
पासवा ने स्पष्ट कहा कि इन सभी बिंदुओं को लागू करने के लिए झारखंड सरकार को जल्द से जल्द कठोर कोचिंग रेगुलेशन कानून बनाना चाहिए. इससे न सिर्फ छात्रों का भविष्य सुरक्षित होगा बल्कि अभिभावकों को भी आर्थिक और मानसिक शोषण से मुक्ति मिलेगी.
7. स्कूलिंग को प्राथमिकता और कोचिंग की पूरक भूमिका
कोचिंग संस्थान किसी भी परिस्थिति में नॉन-स्कूलिंग मॉडल को बढ़ावा नहीं देंगे. प्रत्येक विद्यार्थी का विद्यालय में नामांकन होना अनिवार्य रहेगा और कोचिंग का संचालन इस तरह किया जाएगा कि यह उसकी नियमित स्कूल शिक्षा में बाधा न बने.
कोचिंग को केवल एक सहायक और पूरक व्यवस्था के रूप में माना जाएगा, न कि विद्यालयी शिक्षा के विकल्प के रूप में.
विद्यालय से प्राप्त होने वाली आधारभूत शिक्षा को सर्वोपरि मानते हुए कोचिंग केवल अतिरिक्त अभ्यास, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, तथा विषयों की गहन समझ विकसित करने का माध्यम होगी.
8. कोचिंग का समय-निर्धारण
- कोचिंग संस्थानों का संचालन केवल द्वितीय पाली में किया जाएगा, ताकि प्रात:कालीन समय विद्यार्थियों की विद्यालयी पढ़ाई के लिए सुरक्षित रह सके.
- कोचिंग कक्षाओं की अधिकतम समय सीमा रात 8:00 बजे तक होगी और इसके बाद किसी भी प्रकार की कक्षा, टेस्ट या अतिरिक्त सत्र आयोजित नहीं किया जा सकेगा.
- यह व्यवस्था विद्यार्थियों को मानसिक और शारीरिक रूप से संतुलित दिनचर्या प्रदान करेगी और उन्हें पर्याप्त आराम, खेलकूद तथा पारिवारिक समय भी उपलब्ध होगा.
- इससे विद्यार्थियों पर अतिरिक्त शैक्षणिक दबाव नहीं पड़ेगा और उनकी विद्यालयी पढ़ाई का महत्व भी सुरक्षित रहेगा.