प्रशांत/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: केरेडारी प्रखंड के जोरदाग गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय को विस्थापित क्षेत्र से बाहर बनवाने को लेकर यह विद्यालय लंबे समय से सुर्खियों में रहा है. विद्यालय एनटीपीसी के खनन क्षेत्र में आने के कारण इसके नए भवन का निर्माण बड़का आम स्थित स्थल पर करने का निर्णय लिया गया. इस हेतु ग्रामीणों ने राजपाल के नाम पर एग्रीमेंट भी करवाया, ताकि विद्यालय समय पर और गुणवत्ता के साथ बन सके. एनटीपीसी ने पुराने विद्यालय का मापन कर लगभग 1.54 करोड़ की राशि विभागीय अधिकारियों को सौंपी. इसके बाद डीएफएमटी मद से विद्यालय निर्माण का टेंडर जारी किया गया. 18 जुलाई को टेंडर खुला, जिसमें संवेदक नारायण साव ने 20व कम दर (लॉस) पर कार्य लेने की पेशकश की और निविदा प्राप्त कर ली. ग्रामीणों में इस बात पर गहरी चिंता और रोष प्रकट की है. उनका कहना है कि स्वीकृत राशि से कम रेट पर निविदा निकालना और उस पर सहमति जताना, घटिया काम को सरकारी संरक्षण देने जैसा है.
ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि जब एक वर्ष पहले इसी संवेदक द्वारा 1.44 करोड़ में केवल दो कमरे और बाउंड्री वॉल बनाई गई थी, जो अब टूटने की स्थिति में है, तो फिर इस बार 1.24 करोड़ में 1 से 10वीं कक्षा तक का विद्यालय भवन, एक बड़ा पुलिया और लगभग दो एकड़ क्षेत्रफल में बाउंड्री वॉल कैसे बनेगी? ग्रामीणों का मानना है कि 20 प्रतिशत कम रेट पर गुणवत्तापूर्ण कार्य संभव नहीं है और इसका खामियाजा बच्चों के भविष्य को भुगतना पड़ सकता है. वे आशंका जता रहे हैं कि कम लागत में काम करने की होड़ में ठेकेदार और अधिकारी गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि निर्माण कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कमेटी का गठन नहीं हुआ, तो वे काम रोकने पर मजबूर होंगे. उनका स्पष्ट कहना है कि बच्चों को शिक्षा और भविष्य के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.