प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग जिले में गौ-तस्करी का खेल अब एक नया रूप ले चुका है. मिली जानकारी के अनुसार अब गौ-तस्कर दुधारू गाय यानी दूध देने वाली गाय के नाम पर बनाए गए दस्तावेजों का दुरुपयोग कर अवैध रूप से गायों को एक जगह से दूसरी जगह ले जा रहे हैं. यह काम कानून की आंखों में धूल झोंककर नहीं बल्कि कानून के पुरे जानकारी में हो रही है. यह पशुपालन से जुड़े दस्तावेजों की आड़ लेकर किया जा रहा है. असल में, कानून के मुताबिक दुधारू गायों के परिवहन पर सख्त प्रतिबंध नहीं है, लेकिन इसी छूट का फायदा उठाकर तस्कर बूचड़खानों तक गायों को पहुंचा रहे हैं. जानकारों की मानें तो कई बार इन पशुओं को बिहार, बंगाल और अन्य राज्यों की सीमा पार कर अवैध तरीके से भेजा जाता है. हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले पर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता चुप्पी साधे बैठे हैं, जो पहले गौ-रक्षा के नाम पर आवाज बुलंद करते थे.
गौ-तस्करी की बढ़ती घटनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में रोष बढ़ता जा रहा है. कई बार स्थानीय लोगों ने तस्करी करते वाहनों को पकड़ा है, लेकिन अधिकतर मामलों में या तो पुलिस जांच अधूरी रह जाती है या फिर दस्तावेजों की वैधता बताकर तस्करों को छोड़ा जा रहा है. प्रशासनिक मिलीभगत भी इस पूरे खेल में शामिल होती है यह बात भी छिपी नहीं है. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस नई तस्करी तकनीक से अनजान है? या जानबूझकर नजरअंदाज कर रहा है? और सबसे अहम बात है कि जो सामाजिक कार्यकर्ता पहले गायों के नाम पर सड़कों पर उतर आते थे, आज उनकी चुप्पी क्यों है? यह सिर्फ एक अपराध नहीं, आस्था और कानून दोनों का मजाक है. अब जरूरत है सख्त निगरानी और जिम्मेदार कार्रवाई की. वरना ह्य दुधारू गाय की आड़ में चलता रहेगा गौ-तस्करी का गोरखधंधा.
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