कभी साइबेरियन पंछियों का होता था जुटान, पानी नहीं रहने से कृषि कार्य भी बुरी तरह प्रभावित
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: इचाक प्रखंड के बरकाकला पंचायत के लोटवा गांव सिमाना में लोटवा डैम 45 वर्ष पूर्व बना है. जो उत्तर दिशा में पद्मा प्रखण्ड को जोड़ता है. परंतु आज तक कभी भी इसका गहरीकरण नहीं हुआ. बड़ा डैम होने के बाद भी आज तालाब में तब्दील हो गया है. लोटवा जलाशय प्राकृतिक के सुंदर वादियों के बीच बने मनोरम दृश्य आज भी अपने आप में अनोखा है. नेशनल पार्क रजडेरवा और शालपर्णी के बाद यह तीसरा स्थान है, जहां जनवरी माह प्रारंभ होते ही पिकनिक के लिए लोगों का आना-जाना लगा रहता है. पिकनिक का खूब लुप्त उठाते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार कई बार इस जलाशय में साइबेरियन पक्षी की झुंड को भी देखा गया है.
इतना ही नहीं लोटवा जलाशय इचाक प्रखण्ड का एक मात्र जलाशय है जिससे इचाक तो नहीं बल्कि पदमा प्रखण्ड के तिलिर, करमा, सूजी, नावाडीह, परतन, जिहू, अडार, बन्दरबेला समेत दर्जनों गांवों के किसान हजारों एकड़ भूमि को सिंचित कर खेतों को हरा भरा रखते हैं. परंतु दुर्भाग्य विभाग की लापरवाही के कारण आज तक इस डैम का जीर्णोद्धार नही हुआ. जिसके चलते जनवरी माह से ही पानी की निकासी पूर्ण रूप से बंद हो जाती है. जिस कारण किसान जेठुवा फसल नहीं उगा पाते हैं.
दशकों पूर्व डैम में पानी सालों भर रहता था. जिससे किसानों का जीवन-यापन करने का मुख्य साधन था. खेती-बाड़ी कर बच्चों की पढ़ाई लिखाई का काम करते थे. परंतु गहरीकरण नहीं होने के कारण डैम में पानी का ठहराव बहुत कम होता है. बरसाती फसल उगाने के बाद डैम से पानी की निकासी बंद हो जाती है. इस कारण किसान का खेत बंजर होते जा रहा है. साथ सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां के युवा पलायन करने पर मजबूर है. चूंकि यह डैम लोटवा गांव के युवकों के लिए मछली पालन का भी एक बहुत बड़ा साधन था. जो वर्तमान में अब समाप्त होता दिखाई दे रहा है. यदि इस डैम का जीर्णोद्धार किया जाय तो यहां रोजगार के सृजन होंगे.