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रांची/डेस्क: काफी दिनों से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का अटका मसला लगता है अब हल होने के कगार पर है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का जो नाम फिर से उभर कर सामने आया है, वह नाम और कोई नहीं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का है. शिवराज सिंह चौहान का नाम इस अभियान में पहले भी सामने आ चुका है, लेकिन लगता है इस बार उनके ऊपर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ है. सम्भवतः इसी सिलसिले में शिवराज सिंह चौहान की संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात भी हुई है. इस मुलाकात के बाद भाजपा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार की रेस में शिवराज सिंह चौहान आगे-आगे दौड़ने लगे हैं.
शिवराज सिंह और मोहन भागवत की मुलाकात का क्यों निकाला जा रहा मतलब
केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह और संघ प्रमुख मोहन भागवत की इस मुलाकात का आखिर क्यों मतलब निकाला जा रहा है? एक तो भाजपा अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर और विलम्ब नहीं करना चाह रही है, दूसरे चौहान और मोहन भागवत की मुलाकात दो वर्षों के बाद हो रही है. भाजपा 28 सितम्बर से पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पूर्ण कर लेना चाह रही है. ताकि बिहार चुनाव से पहले वह अपने नये राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ नयी रणनीति के तहत चुनाव मैदान में उतर सके। यही नहीं, आने वाले महीनों यानी अगले साल पांच बड़े राज्यों में भी चुनाव होने हैं जिनमें पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु भी शामिल हैं. इसलिए भाजपा राजनीतिक हलकों में ऐसा कोई संकेत नहीं देना चाहती कि पार्टी के अन्दर सब कुछ ठीक नहीं है. यही वजह है कि बीच 2 साल बाद हुई इस मुलाकात को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. फिर, दोनों की मुलाकात में करीब 45 मिनट बातचीत हुई थी, इसलिए इस मुलाकात के और भी गहरे मायने निकल रहे हैं. सबसे बड़ी यह कि भाजपा, विशेष कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस मुक्त भारत की नीति पर काम कर रहे हैं. भाजपा की इस रणनीति के सबसे बड़े योद्धा के रूप में शिवराज सिंह चौहान को ही जाना जाता है. यह शिवराज सिंह चौहान ही हैं, कि वर्षों के मध्य प्रदेश में कांग्रेस की दाल नहीं गल रही है.