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Ganesh Chaturthi 2025: आखिर क्यों मनाया जाता है गणेश चतुर्थी? जानें उनके जन्म के पीछे की रोचक कथा

Ganesh Chaturthi 2025: आखिर क्यों मनाया जाता है गणेश चतुर्थी? जानें उनके जन्म के पीछे की रोचक कथा

न्यूज़11 भारत

रांची/डेस्क: देशभर में भक्ति और उल्लास का माहौल तब खास हो जाता है जब गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता हैं. ढोल-ताशों की गूंज, सजधज से सजे पंडाल और घरों में बप्पा की स्थापना इस त्योहार को अद्वितीय बना देती है लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है और इसके पीछे कौन-सी पौराणिक कथा जुड़ी हुई हैं?
 
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है, जिसे देशभर में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं. खासकर महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस पर्व की रौनक सबसे ज्यादा देखने को मिलती हैं. दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में लोग अपने घरों और पंडालों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना करते है और अंतिम दिन धूमधाम के साथ विसर्जन किया जाता हैं. 
 
भगवान गणेश के जन्म की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार देवी पार्वती स्नान करने जा रही थी और उन्होंने अपने द्वार की रक्षा के लिए अपनी शक्ति से एक बालक की रचना की. वही बालक गणेश थे. माता के आदेश का पालन करते हुए गणेश ने किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी. तभी भगवान शिव वहां पहुंचे और अंदर जाना चाहा, लेकिन गणेश ने उन्हें रोक दिया. क्रोधित होकर शिव ने त्रिशूल से गणेश का सिर काट धर से अलग कर दिया.
 
जब यह बात देवी पार्वती को पता चली तो वे अत्यंत दुखी हुई और सृष्टि के विनाश का संकल्प ले लिया. देवताओं और ऋषियों ने स्थिति संभालने की कोशिश की. तब भगवान शिव ने गणों को आदेश दिया कि वे उत्तर दिशा की ओर जाकर पहले मिले प्राणी का सिर लेकर आएं. गणों को एक हाथी मिला और उसका सिर लाकर गणेश के धड़ से जोड़ दिया गया. भगवान शिव ने उन्हें जीवन प्रदान किया और आशीर्वाद दिया कि भविष्य में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले उनकी पूजा की जाएगी. इसी कारण हर वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता हैं.
 
गणेश चतुर्थी का महत्व
यह पर्व केवल भगवान गणेश के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक भी हैं. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, अर्थात् जो हर बाधा को दूर करते हैं. इसलिए किसी भी नए कार्य की शुरुआत में उनकी पूजा की जाती हैं. गणेश चतुर्थी लोगों को आपसी एकता और सामूहिकता का संदेश देती हैं. इस अवसर पर लोग पंडाल सजाते है, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते है और सामूहिक रूप से उत्सव मनाते हैं. यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि समाज में भाईचारे और सहयोग की भावना को भी प्रबल करता हैं.
 
 

 

 

 

 

 

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