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रांची/डेस्कः सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत का बहुत ही विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री के दिन सावित्री और सत्यवान की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि इस दिन सावित्री ने सत्यवान को यमराज के पास से जीवित लेकर आई थीं.
मान्यता है कि जो महिलाएं वट सावित्री के दिन व्रत रखती हैं उन्हें सौभाग्यवती का वरदान मिलता है. साथ ही पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए कामना भी की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वट सावित्री का व्रत कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं. जो कुंवारी कन्याएं वट सावित्री व्रत को रखती हैं उन्हें सुयोग्य वर मिलता है.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, वट सावित्री व्रत के दिन पूजा-पाठ का खास ध्यान रखना पड़ता है. यदि जो महिलाएं विधि-विधान के साथ व्रत रखती हैं उनके पति का जीवन सुखमय और दीर्घायु होती है. इस दिन सत्यवान के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. साथ ही वट वृक्ष की यथासंभव परिक्रमा भी की जाती हैं. तो आइए आज आपको बतातें है कि वट सावित्री के दिन किस विधि-विधान से पूजा-पाठ कर सकते हैं. साथ ही शुभ मुहूर्त क्या है?
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का प्रारंभ 26 मई 2025 यानी आज, दोपहर 12:11 बजे होगा और इसका समापन 27 मई को सुबह 08:31 बजे होगा. उदयातिथि के अनुसार व्रत 26 मई, सोमवार को ही रखा जाएगा.
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि
व्रत वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
बरगद के पेड़ के नीचे जाकर सावित्री-सत्यवान की प्रतिमा स्थापित करें.
पेड़ की पूजा जल, फूल, रोली, चावल, मिठाई और वस्त्र आदि से करें.
दीपक जलाकर आरती करें और सच्चे मन से व्रत कथा का पाठ करें.
पेड़ की रक्षा सूत्र से परिक्रमा करते हुए 7, 11 या 21 बार घूमें.
दिनभर अन्न और जल का त्याग करें. अगले दिन व्रत का पारण करें.
वट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के प्रेम, समर्पण और निष्ठा का प्रतीक है. अपने पति की लंबी उम्र के लिए विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती है.