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सिमडेगा/डेस्क: सिमडेगा के बीरू का बुढापहाड कभी नक्सलियों का गढ हुआ करता था. इस पहाड़ी के चप्पे चप्पे पर नक्सलियों का राज चलता था. पहले लोग इस पहाड़ी की तरफ आना तो दुर देखना भी गंवारा नहीं करते थे. लेकिन आज ये खौफजदा पहाड़ शांति और सुकून की जगह बन गयी है. कभी यहां की चट्टाने गोलियों की तडतडाहट से थर्राती थी, आज वहां शंख और घंटी की आवाज गुंजयमान है.
मंज़र को मैंने देखे हैं बदलते, यहां हर शय बदल जाती है. भय के बारूद में भी अमन के बदलाव आ जाती है. ऐसा हीं देखने को मिला आतंक और खौफ का घर कहे जाने वाले सिमडेगा के बुढा पहाड़ में. यहां न तो आज आतंक है और ना हीं भय. यहां अब हर तरफ सिर्फ शांति शांति है. आज से 14-15 वर्ष पहले यहां की आबोहवा भयावह हुआ करती थी. उस वक्त यहां पेड़ो और पत्तियों की आड़ में बंदूकें झंका करती थी. लेकिन कहते हैं जहां भगवान का वास हो वहां स्वतः शांति और सुकून का वास रहता है. जिन पहाड़ी जंगलों में कभी परिंदा भी पर मारने को सोंचता था, आज वहां भक्तों का जमावड़ा नजर आने लगा है. 10-15 वर्ष पहले देखी फ़िजा बिलकुल बदली नजर आई. चारों तरफ घनघोर जंगल के बीच पहाड़ों की गुफा में विराजमान है बाबा गुप्तेश्वर महादेव. यहां गुफा के अंदर अनेकों शिवलिंग के आकृति बने हुए हैं. वहीं नंदी आकर की एक चट्टान भी है. जो पुरी तरह इस जगह को शिवधाम होने का एहसास कराती है. पहाड़ की आकृति ऐसी है जहां पर मानव जानवर और दूसरों आक्रमणकारियों से भी लोग सुरक्षित रह सकते हैं. अब आसपास के लोग प्रतिदिन यहां गुफा में आकर पूजा करने लगे हैं. गुफा में भगवान का वास है. जिसके कारण गुफा को भगवान डेरा भी कहा जाने लगा है.
अब यहां के विकास के लिए और यहां तक पंहुचने के सुगम रास्ते के लिए लोग प्रयासरत हैं. बीरू के मुखिया गंगाधर लोहरा ने कहा कि खौफनाक रहे जगह में शांति और शिवधाम होना सब प्रभु की माया है. अब इसके विकास के लिए सरकार ध्यान दे तो यह भी प्रसिद्ध धाम बन जाएगा.