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सिमडेगा/डेस्क: सरकार कहती हैं पढ़ेगा भारत तो बढ़ेगा भारत. लेकिन सरकारी उदासीनता बच्चों के शिक्षा में ग्रहण लगाने को आमदा है. सिमडेगा जिला के बानो प्रखंड अंतर्गत बिंटुका पंचायत के सिकरोम पहान टोली गांव में स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय की हालत बद से बदतर हो चुकी है. लेकिन इस स्कूल को नया भवन देने के प्रति सरकार उदासीन बनी हुई है.
सिमडेगा जिला के बानो प्रखंड अंतर्गत बिंटुका पंचायत के सिकरोम पहान टोली गांव में स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय का भवन पिछले एक साल से जर्जर अवस्था में है. छत से लगातार पानी टपकने के कारण स्कूल की छत धीरे-धीरे टूटकर गिरने लगी. जिस कारण बच्चों की पढ़ाई स्कूल भवन में खतरनाक होता गया. शिक्षा पाने वाले यहां के बच्चों के ऊपर उत्पन्न खतरे को देखते हुए विद्यालय के शिक्षक जेमन मड़की ने अपने निजी अधूरे आवास को बच्चों की पढ़ाई के लिए अस्थायी व्यवस्था के तौर पर खोल दिया है. इनके इस निर्माणाधीन घर में बच्चे बोरी बिछाकर जमीन पर बैठने को मजबूर हैं. ऐसे माहौल में पढ़ाई न केवल असुविधाजनक हो रही है, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है. स्कूल के हेडमास्टर जेमन मड़की ने बताया कि एक साल पहले ही इस जर्जर स्कूल भवन को लेकर शिक्षा विभाग को आवेदन दिया गया था. उसके बाद विभागीय जेई ने स्थल निरीक्षण कर जल्द नया भवन बनाए जाने का आश्वासन दिया था. लेकिन नतीजा शिफ़र रहा और आज तक कोई कार्य शुरू नहीं हो सका है.
स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों की मांग है कि बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार जल्द से जल्द इस विद्यालय के लिए नया भवन निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाए. जब तक भवन नहीं बनता, तब तक वैकल्पिक व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित न होना पड़े. पंचायत की मुखिया प्रीति बुढ़ ने प्रशासन से जल्द से जल्द नए स्कूल भवन की मांग की है.
जिला शिक्षा अधीक्षक दीपक राम से जब इस संबंध में बात की गई तो, उन्होंने कहा कि उस स्कूल भवन की समस्या उन तक आई थी. उन्होंने सरकार को नए भवन की मांग की है. जैसे ही वहां से फंड आएगा इस स्कूल को नया भवन दिया जाएगा.
शिक्षा विभाग में तो नए स्कूल भवन की मांग के लिए सरकार को फाइल बढ़ा दी है. अब देखना दिलचस्प होगा कि कब तक सरकार की नजरें इन बच्चों की तकलीफ को दूर करने के लिए इनायत होती है. जब तक स्कूल भवन नहीं मिल जाता. तब तक इन बच्चों को इसी तरह कष्ट कर शिक्षा ग्रहण करनी होगी. आखिर शिक्षा के प्रति सरकार के ऐसे उदासीन रवैया पर कैसे पढ़ेगा भारत और कैसे बढ़ेगा भारत? यह एक बड़ा यक्ष प्रश्न बन गया है.
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