न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक ऐसा दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने यह सवाल उठाया है कि आधुनिक समाज में अकेलापन और डिप्रेशन किस हद तक इंसान की जिंदगी को प्रभावित कर सकते हैं. मुंबई के नवी मुंबई क्षेत्र में स्थित घरकूल सीएचएस, सेक्टर 24 के एक फ्लैट में रहने वाले अनूप कुमार नायर नामक शख्स ने बीते तीन वर्षों से खुद को दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग कर लिया था. कभी एक कुशल कंप्यूटर प्रोग्रामर रहे नायर अब गुमनामी और गंदगी के बीच अपनी जिंदगी बिता रहे थे.
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
इस चौंकाने वाली स्थिति का खुलासा तब हुआ जब एक जागरूक नागरिक ने सामाजिक संस्था 'सील' (Social and Evangelical Association for Love) को जानकारी दी. सील के कार्यकर्ता जब मौके पर पहुंचे, तो उन्हें फ्लैट का दरवाजा खोलने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. अंदर की स्थिति भयावह थी. चारों ओर कूड़े-कचरे और मानव मल का अंबार था.
पारिवारिक पृष्ठभूमि
अनूप नायर का अतीत सम्मानजनक था. उनकी मां पूनम्मा नायर भारतीय वायु सेना में टेलीकम्युनिकेशन विभाग में कार्यरत थीं, जबकि पिता वी. पी. कुट्टी कृष्णन नायर, टाटा अस्पताल, मुंबई में काम करते थे. लेकिन 20 साल पहले उनके बड़े भाई की आत्महत्या और फिर माता-पिता के निधन के बाद नायर गहरे अवसाद में चले गए.
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समाज से टूटा हर रिश्ता
सील के पास्टर के. एम. फिलिप ने बताया कि नायर ने पिछले कुछ वर्षों में लगभग सभी सामाजिक संपर्क समाप्त कर दिए. वह फ्लैट से बाहर नहीं निकलते थे और केवल ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप्स के जरिए भोजन मंगवाते थे. यहां तक कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों से भी दूरी बना ली थी, क्योंकि अब उन्हें किसी पर भरोसा नहीं रह गया था. पास्टर फिलिप ने यह भी बताया कि नायर के पैरों में गंभीर संक्रमण है, जिसे तत्काल इलाज की जरूरत है. अब सील संगठन उनकी चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए कदम उठा रहा है.
पड़ोसियों की प्रतिक्रिया
अपार्टमेंट के अध्यक्ष विजय शिबे ने बताया कि नायर कभी अपने फ्लैट से बाहर नहीं आते थे, यहां तक कि कचरा भी बाहर नहीं रखते थे. कई बार पड़ोसियों ने उनकी चिंता जताई, लेकिन स्थिति की गंभीरता का अंदाज़ा नहीं था.