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रांची/डेस्कः मध्यप्रदेश की सियासत उस वक्त हिल गई जब राज्य की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) मंत्री और आदिवासी नेता संपतिया उईके पर जल जीवन मिशन के तहत 1000 करोड़ रुपये की कमीशनखोरी के गंभीर आरोप लगे. ये आरोप पूर्व विधायक किशोर समरीते ने लगाए हैं, जिनकी शिकायत को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. शिकायत के आधार पर राज्य सरकार ने खुद ही मंत्री संपतिया उईके के खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए हैं. इस घटनाक्रम ने न केवल सरकार को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि विपक्ष को भी सरकार पर तीखा हमला करने का मौका दे दिया है.
क्या हैं आरोप?
किशोर समरीते ने 12 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि जल जीवन मिशन के 30,000 करोड़ रुपये के बजट में भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. उनका दावा है कि मंत्री उईके ने खुद 1000 करोड़ रुपये रिश्वत के तौर पर लिए हैं. साथ ही मंडला, बैतूल और बालाघाट जिलों में तैनात कार्यपालन यंत्रियों पर भी घूसखोरी के आरोप लगाए गए हैं.
शिकायत में कहा गया है कि बैतूल जिले में 150 करोड़ रुपये बिना कोई कार्य किए ही निकाल लिए गए. प्रमुख अभियंता बीके सोनगरिया पर 2000 करोड़ रुपये के कमीशन की वसूली का आरोप है. 7000 फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाणपत्र केंद्र सरकार को भेजे गए, जिनके आधार पर भुगतान कराया गया. मंडला जिले के एक अधिकारी पर मंत्री के लिए घूस संग्रह करने का आरोप भी शामिल है.
विपक्ष का हमला
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “जनता को न नल मिला, न जल, मिला तो सिर्फ घोटालों का दल.” उन्होंने सीधे तौर पर राज्य की भाजपा सरकार को “घोटालों की सरकार” करार दिया. सिंघार ने लिखा कि जल जीवन मिशन में 1,000 करोड़ रुपये के कमीशन की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचना दर्शाता है कि भ्रष्टाचार किस हद तक फैला है.
आगे क्या?
PMO के हस्तक्षेप के बाद अब इस मामले की जांच राज्य स्तर पर शुरू हो गई है. मंत्री संपतिया उईके की भूमिका, अधिकारियों की संलिप्तता और कथित फर्जी भुगतान के पूरे नेटवर्क की जांच की जा रही है. इस बीच, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार से मंत्री को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है.