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झारखंड


टुंडी के मनियाडीह से शुरू हुई थी अलग झारखंड की लड़ाई, शिबू सोरेन के नाम पर अभी भी है आश्रम

यहीं बनती थी आंदोलन की रणनीति
टुंडी के मनियाडीह से शुरू हुई थी अलग झारखंड की लड़ाई, शिबू सोरेन के नाम पर अभी भी है आश्रम

न्यूज11 भारत 

धनबाद/डेस्क: शिबू सोरेन अब नहीं रहे. उनकी स्मृतियां ही शेष हैं. उनका व्यक्तित्व और कृतित्व हमेशा याद किया जाएगा. उनकी जन्मस्थली भले भी नेमरा रही हो, लेकिन कर्मस्थली तो धनबाद की टुंडी ही रही है.  दिशोम गुरु के नाम से प्रसिद्ध शिबू सोरेन ने 70 के दशक में टुंडी से अलग झारखंड राज्य की लड़ाई शुरू किया था.  शिबू सोरेन ने नक्सल प्रभावित गांव पोखरिया में आश्रम की स्थापना की थी. इसी आश्रम में बैठक होती थी और आंदोलन की रूप - रेखा बनती थी. बाद में इस आश्रम का नाम   शिबू आश्रम पड़ गया. 

 धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड के पोखरिया ने ही शिबू सोरेन को शिबू सोरेन बनाया. यहीं  से शिबू सोरेन को पहचान मिली. यही आश्रम बनाकर शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के विरोध में आंदोलन शुरू किया.  ए लंबी लड़ाई लड़ी. यही लड़ाई ने शिबू सोरेन को दिशोम गुरु बना दिया. पोखरिया आश्रम आज भी शिबू सोरेन के संघर्ष का गवाह है. समय के साथ पोखरिया आश्रम की सूरत बदल गई. फूस और मिट्टी का आश्रम पक्का बन गया है. यह अब सामुदायिक भवन का काम करता है. इस सामुदायिक भवन का खुद शिबू सोरेन ने 16 जुलाई 2011 को उद्घाटन किया. धनबाद में रहने के दौरान शिबू सोरेन टुंडी क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय थे. क्योंकि वहां संतालों की आबादी ज्यादा थी और वे महाजनों से परेशान थे. वहां धान काटो आंदोलन के दौरान कई बार संघर्ष हुआ और शिबू सोरेन के खिलाफ कई मामले दर्ज हुए. आंदोलन चलता रहा. कई साथी बने. कुछ साथ चले, कुछ साथ छोड़कर चले गए. इसके बाद भी शिबू सोरेन रुके नहीं. आंदोलन चलता रहा. भूमिगत आंदोलन खत्म होने के बाद भी शिबू सोरेन के लिए टुंडी कर्मस्थली बनी रही.

सोमवार को शिबू सोरेन के निधन की खबर मिलते ही टुंडी क्षेत्र में शोक की लहर है. पोखरिया गांव स्थित शिबू आश्रम में सन्नाटा पसरा हुआ है. उनके चाहने वाले गुरुजी के निधन से शोक में डूबे हुए हैं. 

गोल्फ ग्राउंड में एके राय-बिनोद बिहारी के साथ मिलकर की पार्टी की स्थापना 

टुंडी से आंदोलन की राजनीति शुरू करने वाले शिबू सोरेन ने अपने सहयोगी एके राय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में चार फरवरी 1973 को झामुमो की स्थापना की. हर साल पार्टी यहां स्थापना दिवस समारोह मनाती है. विगत तीन-चार साल से अपने स्वास्थ्य की वजह से शिबू सोरेन ने इस कार्यक्रम से दूरी बना ली थी. सीएम हेमंत सोरेन समेत पार्टी के सभी नेता हर साल यहां पहुचकर स्थापना दिवस समारोह मनाते हैं.

यह भी पढ़ें: सामाजिक संघर्षों और अलग राज्य आंदोलन ने शिबू सोरेन को बनाया गुरुजी - बाबूलाल मरांडी

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