प्रखंड क्षेत्र में 90 प्रतिशत से ज्यादा बोरिंग फेल, बूंद-बूंद पानी के लिए भटक रहे ग्रामीण
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: कटकमसांडी प्रखंड क्षेत्र में सरकार के महत्त्वाकांक्षी नल जल योजना के तहत लगाए गए 10 प्रतिशत जलमीनार तीन-चार माह के अंदर दम तोड़ने की बात सामने आई है. भीषण गर्मी के दिनों में पेयजल के लिए लोगों को फजीहतों का सामना करना पड़ रहा है. पीएचईडी से टेंडर लेकर संवेदकों द्वारा जल मीनार निर्माण के नाम पर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया है. पूर्व जिप सदस्य विजय सिंह भोक्ता ने बताया कि नए बोरिंग के साथ एक जलमीनार के निर्माण की प्राक्कलित राशि लगभग साढ़े आठ लाख रुपया है, जिसमे 25 घरों तक पानी का पाइप लाइन बिछाना था. मगर दस पंद्रह घरों तक ही मानक के विरुद्ध घटिया पाइप लाइन जोड़ा गया, जो दो माह के भीतर टूट-फूट गया. उन्होंने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में 90 प्रतिशत जलमीनार डेड है. जबकि दस प्रतिशत जलमीनार से लोगों को 20 मिनट ही पानी मिलता है.
बताया गया कि प्रत्येक जलमीनार तक पानी लाने के लिए डीप बोरिंग कर समरसेबल डालकर 45 मिनट तक पानी निकालने के बाद ही मीनार से बोरिंग को जोड़ना था. मगर संवेदक द्वारा जैसे तैसे जलमीनार से बोरिंग को कनेक्ट कर विभागीय मिलीभगत से सरकारी राशि का बंदरबांट किया गया. इतना ही नहीं, अधिकांश जगह संवेदक द्वारा डीप बोरिंग न कर पीएचईडी व विधायक मद से पारित पुराने चापानलों से जलमीनार को जोड़ा गया, जिसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. उन्होने बताया कि डीप बोरिंग साढ़े चार सौ फीट की जगह डेढ़ सौ फीट ही किए जाने के कारण अधिकांश जलमीनार से पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
दूसरी ओर क्षेत्र में करोड़ो रुपए खर्च करने के बाद नल जल योजना का फेल होने से मनार गांव के दलित लोगों को नदियों में बने चूआं से अपनी प्यास बुझाना पड़ रहा है. वहीं प्रखंड मुख्यालय के समीप चट्टी हरिजन टोला के महिला व बच्चियां पास के समाजसेवी मनोज कुमार के चापानल से कतार बद्ध होकर पानी लेकर अपनी जरूरत पूरा कर रहे हैं. जबकि उस 25-30 घरों के हरिजन मुहल्ले में नल जल योजना के तहत एक भी जल मीनार का निर्माण नहीं किया गया. दस वर्ष पूर्व जिला परिषद मद से एक जल मीनार उपलब्ध कराया गया था, जो पांच वर्षों से डेड है. इधर कटकमसांडी मुख्य बाजार के समीप विधायक सौरभ नारायण सिंह के मद से निर्मित जलमीनार में पुनः 15वें वित्त योजना की राशि दो लाख 22 हजार आठ सौ की राशि खर्च करने के बावजूद 50 घरों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई, जो असफल रहा.
मगर शिलापट्ट पर प्राक्कलित राशि सिर्फ 22 हजार आठ सौ दिखाया गया. मतलब साफ है कि दो लाख की राशि का सीधा गबन कर लिया गया. जल मीनारों से लोगों को एक बूंद पानी मयस्सर नहीं होने के कारण लोग दूर-दूर से साइकिल, बाइक व सिर पर पानी ढो रहे है. कहा जा रहा है कि जैसे तैसे काम कर राशि की बंदरबांट की गई. पीएचईडी के अधिकारियों ने भी कभी निर्माण कार्य का सुध नही लिया. नतीजा नल जल योजना क्षेत्र में टांय-टांय फिस्स हो गई. पूर्व जिप सदस्य विजय सिंह भोक्ता व जेएमएम प्रखंड अध्यक्ष राजा मोहम्मद ने झारखंड के मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत कर संवेदक व संलिप्त विभाग पर कार्रवाई किए जाने की बात कही है.