प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: साल में मात्र दो-तीन महीना जंगलों में मिलने वाला पियार का फल इन दिनों ग्रामीण बाजारों में आकर्षण का केंद्र बन रहा है. बाजार में पियार नामक फल प्यार की मिठास बनकर बिक रहा है, जिसकी लोग खरीदारी कर मजे से स्वाद चख रहे हैं. जंगलों में मिलने वाले छोटे आकार के बैंगनी और काले रंग के पियार के फल को बाजारों में इन दिनों लोग खूब पसंद कर रहे है. ग्रामीण क्षेत्र के लोग जंगलों से इसे तोड़ कर बाजारों में इसकी बिक्री कर रहे है. भीषण गर्मी में इस जंगली फल की मांग काफी बढ़ गई है इस फल के सेवन से इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है. महुआ का सीजन समाप्त होते ही जंगलों में पियार, कनौदा जिसे करौंदा भी कहते हैं, कटार व अन्य फल मिलने लगते है. खासकर हजारीबाग के आंचलिक बाजारों में इन दिनों पियार, कनौदा और कटार मिल रहे है. जंगलों में ये फल प्रचुर मात्रा में मिल रहे है. टाटीझरिया, कटकमडाग, कटकमसांडी के बाजारों में 10 रुपए दोना पियार और कटार मिल रहा है. सड़कों के किनारे कई बच्चे व ग्रामीण पियार और कटार बेचते दिख जाएंगे. हजारीबाग चतरा वाया कटकमसांडी, हजारीबाग-सिमरिया, हजारीबाग बगोदर व अन्य सड़कों के किनारे भी बहुतायत मात्रा में पियार और कटार बेचे जा रहे है.
अपने अनोखे स्वाद की वजह से लोगों की पसंद है पियार
कटकमसांडी के सीमावर्ती जंगलों में तेंदू, पियार, कटार, कनौदा व अन्य फलों के पेड़-पौधे बहुतायत मात्रा में है. ग्रामीण जंगलों से ये फल इकट्ठा कर साप्ताहिक बाजार में बेचने के लिए लाते है. ये फल बाजार में पहुंचते ही आसानी से बिक जाते है. इन फलों से कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. पियार अपनी मिठास और अनोखे स्वाद के लिए जाना जाता है. झारखंड के जंगलों में मिलने वाले पियार के दाने से चिरौंजी भी निकाली जाती है. स्थानीय जंगलों में मिलने वाला पियार, कटार, कनौदा व अन्य फल नेचुरल है और यह इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाता है. यह प्रकृति का अनुपम उपहार है, जो हमें आसानी से मिल जा रहा है. जंगली फल सस्ता होने के साथ लोगों को रोजगार से भी जोड़ता है.