हजारीबाग में चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के आरोप, कार्यपालक अभियंता पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
प्रशान्त/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: भवन निर्माण विभाग हजारीबाग एक बार फिर विवादों में है. टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी और चहेते संवेदकों को फायदा पहुंचाने के आरोपों को लेकर दर्जनों ठेकेदारों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है. धरने पर बैठी संवेदिका जगनी देवी समेत कई अन्य ठेकेदारों ने टेंडर प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए. जगनी देवी द्वारा कार्यपालक अभियंता पर लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद विभाग की ओर से जवाब भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें सभी प्रक्रियाओं को नियम के अनुरूप बताया गया है.
कार्यपालक अभियंता का पक्ष
"आपकी जानकारी गलत, तकनीकी योग्यता नहीं थी"
कार्यपालक अभियंता ने अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट किया है कि यह एसबीडी टेंडर नहीं बल्कि ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया थी, जिसमें सभी दस्तावेज निविदा समिति द्वारा साइट पर अपलोड किए गए हैं. बिना डिजिटल लॉगिन के कोई भी दस्तावेज अपलोड नहीं किया जा सकता. ₹25 लाख से ₹1 करोड़ की निविदा की स्वीकृति अधीक्षण अभियंता भवन अंचल हजारीबाग द्वारा की जाती है.
जगनी देवी द्वारा प्रस्तुत वर्क इन हैंड वैल्यू “शून्य” दर्शाई गई, जबकि उनके पास ₹70 लाख से अधिक का कार्यादेश ( 28.12.2024) पहले से स्वीकृत है. उनके द्वारा दी गई जानकारी निविदा नियमों के विरुद्ध पाई गई है, और बिड कैपेसिटी निर्धारित कार्य मूल्य से कम होने के कारण उन्हें तकनीकी रूप से अयोग्य घोषित किया गया.
संवेदकों का आरोप
“चुनिंदा ठेकेदारों को ही बार-बार लाभ क्यों?” धरना दे रहे ठेकेदारों का कहना है कि विभाग की टेंडर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितता है और चुनिंदा चहेते ठेकेदारों को ही टेंडर प्राप्त हो रहा है. संवेदिका जगनी देवी ने कहा कि हमने सभी दस्तावेज सही ढंग से भरे थे, फिर भी टेंडर से बाहर कर दिया गया. ये एक पूर्व-नियोजित भ्रष्टाचार है, जिससे निष्पक्ष ठेकेदारों को बाहर किया जा रहा है. अन्य ठेकेदारों ने आरोप लगाया कि बार-बार उन्हीं संवेदकों को टेंडर मिल रहे हैं जो विभागीय अधिकारियों के करीबी हैं. संवेदकों ने चेतावनी दी है कि यदि निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो यह धरना और तेज किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो रांची स्तर तक आंदोलन ले जाया जाएगा.