प्रशान्त/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: शिक्षा विभाग एक अजीबोगरीव स्थिति से जूझ रहा है, जहां प्रधानाध्यापक के पद पर शिक्षकों की अनिच्छा के कारण अब संकुल साधन सेवी (सीआरपी) को विद्यालय का प्रभार सौंप दी गई है. सदर बीईईओ द्वारा जारी एक चौकाने वाले पत्र ने इस बात का खुलासा किया है. पत्रांक 158 दिनांक 10-07-2025 की जारी इस पत्र ने पूरे शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है. यह आदेश डीएसई के निर्देश पर जारी किया गया बताया जा रहा है. इससे विभाग के भीतर चल रही अव्यवस्था खुलकर सामने आ गई है. यह विडंबना ही है कि एक और शिक्षक प्रधानाध्यापक पट के लिए सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा रहे हैं वहीं दूसरी और स्थानीय स्तर पर वरीय शिक्षक इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं. विद्यालय में कक्षा 1 से 5 के लिए मार्टिना तिकी, गीता कुमारी, कुमारी सुमनलता सिन्हा, दीपक कुमार और खेमन गोप जैसे शिक्षक मौजूद हैं. वहीं कक्षा 6 से में स्नेहा भारती, रानी राज दुलारी और देवांजना कार्यरत हैं. शिक्षकों की पर्याण संख्या होने के बावजूद प्रधानाध्यापक का पद खाली पड़ा है. गौरतलब है कि शिक्षकों में से एक मार्टिना तिकों कैंसर से पीड़ित होने के कारण अवकाश पर हैं. उनकी अनुपस्थिति में प्रभार लेना और भी जटिल हो गया है.
विभाग से सवाल
शिक्षाविदों और विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम आने वाले दिनों में विभाग को एक गंभीर शैक्षिक संकट में धकेल सकता है. संकुल साधन सेवी जिनका प्राथमिक कार्य शैक्षणिक सहायता और पर्यवेक्षण है, को प्रशासनिक प्रभार सौंपना शिक्षा की गुणवत्ता और विद्यालय प्रबंधन दोनों पर नकारात्मक प्रभाव सकता है. यह स्थिति तब और अधिका चिंताजनक हो जाती है जब योग्य और अनुभवी शिक्षक प्रधानाध्यापक जैसे महत्वपूर्ण पद का प्रभार लेने से कतरा रहे हैं. क्या शिक्षा विभाग इस अप्रत्याशित और संभावित रूप्प से घातक फैसले के पीछे के तकों को स्पष्ट करेगा?
क्या इस नई 'अधिरगदों से उत्पन्न होने वाले गंभीर परिणामों
मध्य विद्यालय ओरिया सदरः 'प्रभारी' की कुर्सी पर ग्रहण
इस नई 'परिपाटी' का केंद्र मध्य विद्यालय ओरिसा सदर है. यहां प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद को लेकर भारी 'किचकिच' चल रही है. विद्यालय में कार्यरत कोई भी शिक्षक इस जिम्मेदारी को लेने को तैयार नहीं है और सभी अपनी-अपनी दलीलें पेश कर सी हैं. यहां तक कि जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसई) और अन्य संबंधित अधिकारी भी किसी शिक्षक को प्रभार दिलवाने में नाकाम साबित हुए हैं.
शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवालः सीआरपी को प्रभार देना कितना जायज?
विद्यालयों को सुचारू रूप से चलाने में पदाधिकारियों की यह विफलता जिले की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है. ऐसे में संकुल साधन सेवी को वेतन भुगतान के लिए अनुपस्थिति विवरणी सहित विद्यालय से जुड़े कार्यों के लिए प्राधिकृत करना अपने आप में एक बड़ा प्रश्नचिह है. किस विभागीय प्रावधान के तहत यह असाधारण निर्णय लिया गया है यह अभी तक स्पष्ट नहीं है. पर विचार किया जाएगा? यह देखना वाकी है कि हजारीबाग को शिक्षा व्यवस्या पर इस चौकाने वाले चलन का क्या असर होता है.