प्रशांत/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: रक्षाबंधन, जो भाई-बहन के प्रेम और रक्षा के वचन का पावन पर्व माना जाता है, अब राजनीतिक रंग में रंगता नजर आ रहा है. इस वर्ष त्योहार के आते ही बाजारों में एक अनोखा दृश्य देखने को मिल रहा है. पारंपरिक राखियों के साथ-साथ अब राजनीतिक दलों के चिन्ह वाले रक्षा सूत्र भी खूब बिक रहे हैं. जहां पहले होली जैसे त्योहारों पर नेताओं के मुखौटे और झंडे में बिकते थे, वहीं अब रक्षाबंधन ' जैसे भावनात्मक और पारंपरिक - पर्व पर भी राजनीति को छाप देखने को मिल रही है. बाजारों में 25 से शुरू होकर 100 तक की राखियों में प्रमुख राजनीतिक दलों-जैसे बीजेपी के निशान और झंडे वाले डिजाइन वाली राखियां उपलब्ध हैं. कुछ विशेष डिजाइन और डिजिटल प्रिंट वाली राखियां तो 150 से 200 में भी बिक रही हैं. इन राखियों की खासियत यह है कि ये सामान्य राखियों की तरह धागे या मोती से बनी होती हैं, लेकिन इन पर संबंधित पार्टी का लोगो, झंडा या नेता की तस्वीर लगी होती है.
कई दुकानदारों का कहना है कि ये राखियां युवाओं और पार्टी समर्थकों में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं. वे इन्हें राजनीतिक भावना की अभिव्यक्ति के रूप में देख रहे हैं दुकानदार राहुल स्टोर संचालक नाथू शर्मा बताते हैं कि इस बार राजनीतिक राखियों की मांग काफी बढ़ी है. लोग मजे के तौर पर भी खरीद रहे हैं और समर्थन जताने के लिए भी. कई ग्राहक तो हर पार्टी की राखी खरीद रहे हैं, ताकि हर भाई को उसकी पसंद की राखी बाँध सकें. हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि त्योहारों को राजनीति से दूर रखना चाहिए और उन्हें सांस्कृतिक और पारिवारिक मूल्यों तक सीमित रखना ही बेहतर है. फिर भी यह स्पष्ट है कि अब पर्व केवल धार्मिक या पारिवारिक सीमाओं तक सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक पहचान का भी माध्यम बनते जा रहे हैं. रक्षाबंधन पर इस तरह का नया ट्रेंड न सिर्फ बाजार की चाल को बदल रहा है, बल्कि यह भी दिखा रहा है कि राजनीति किस तरह से हमारे जीवन के हर पहलू में प्रवेश कर चुकी है.
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