संतोष श्रीवास्तव/न्यूज़11 भारत
पलामू/डेस्क: पलामू में कल, 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की तैयारी है, जिसका नेतृत्व संयुक्त ट्रेड यूनियन कर रहा है. यह हड़ताल केंद्र सरकार द्वारा लाए गए चार नए श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स) के विरोध में है.
नए श्रम कानूनों का विरोध
रेड़मा स्थित इप्टा कार्यालय में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया, जहां ट्रेड यूनियन नेताओं ने अपनी चिंताएं व्यक्त की. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने मजदूर संगठनों से किसी भी तरह की सलाह-मशविरा किए बिना और संसद में उचित बहस के बिना ही इन श्रम संहिताओं को पारित कर दिया है. यूनियनों का कहना है कि ये नए कानून मजदूरों के हड़ताल करने के अधिकार, यूनियन बनाने के अधिकार और न्यूनतम आय के अधिकार को खत्म कर देंगे.
कॉर्पोरेट-समर्थक और स्कीम वर्कर्स पर प्रभाव
यूनियन नेताओं ने इन संहिताओं को "कॉर्पोरेट-समर्थक" बताया है. उनका आरोप है कि ये कानून लाखों स्कीम वर्कर्स (जैसे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता आदि) को बंधुआ मजदूर जैसी स्थिति में धकेल देंगे, क्योंकि ये संहिताएं उनके अधिकारों को पूरी तरह से नजरअंदाज करती हैं.
बेरोजगारी और सामाजिक सुरक्षा का मुद्दा
नेताओं ने बेरोजगारी के बढ़ते मुद्दे पर भी प्रकाश डाला और कहा कि सरकार को मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा, न्यूनतम आय और रोजगार सृजन पर कानून बनाने चाहिए. इसके बजाय, सरकार उन्हें बड़े कॉर्पोरेट घरानों का बंधुआ बनाने की कोशिश कर रही है.