प्रशांत शर्मा/न्यूज 11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जैन धर्मावलंबियों के तप, साधना और आत्मशुद्धि का महापर्व पर्युषण पर्व इस वर्ष 28 अगस्त 2025 (गुरुवार) से आरंभ हो रहा है. यह 10 दिवसीय पर्व परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के संघ की ब्रह्मचारिणी दीदी संपदा एवं दीदी अनीता के सानिध्य में संपन्न होगा.
समाज के महामंत्री संजय जैन अजमेरा ने बताया कि पर्युषण पर्व जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें 10 धर्मों — उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन और ब्रह्मचर्य — का अद्वितीय संगम होता है. इस दौरान श्रावक प्रतिदिन देव दर्शन, पूजा-पाठ, स्वाध्याय एवं प्रतिक्रमण कर अपनी आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं.
मंदिरों की भव्य सजावट और विशेष आयोजन
दिगंबर जैन बादाम बाजार और बड़ा बाजार मंदिर को अंदर और बाहर से सुंदर रोशनी, पुष्प सज्जा और झूमरों से अलंकृत किया गया है. जगमगाते मंदिरों की रौनक देखने लायक होगी. मीडिया प्रभारी अमित जैन विनायक ने बताया कि पूरे पर्व के दौरान होने वाली गतिविधियों का विस्तृत विवरण उपलब्ध कराया जाएगा.
मुख्य तिथियां और आयोजन
- 2 सितम्बर 2025 (धूप दशमी): श्रावक जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति के लिए धूप प्रज्वलित करेंगे.
- 6 सितम्बर 2025 (अनंत चतुर्दशी): श्री 1008 वासु पूज्य भगवान का निर्माण महोत्सव भव्य शोभायात्रा के साथ मनाया जाएगा, जो बादाम बाजार मंदिर से निकलकर बड़ा बाजार मंदिर और पनडु्कशीला तक जाएगी.
- 8 सितम्बर 2025 (क्षमावाणी पर्व): सामूहिक पूजन-अभिषेक के बाद ब्रह्मचारिणी बहनों का प्रवचन होगा. इसके पश्चात श्रावक आपसी मन, वचन और काय से क्षमा मांगकर पर्व का समापन करेंगे. अंत में सामूहिक वात्सल्य भोज का आयोजन होगा.
क्षमा वाणी पर्व का संदेश
समाज के अध्यक्ष किशोर जैन विनायक ने कहा कि पर्युषण पर्व का उद्देश्य जीवन में धार्मिक आचरण को अपनाना, राग-द्वेष त्यागना और आत्मा की शुद्धि के माध्यम से सच्चे आनंद व शांति की प्राप्ति करना है.
यह पर्व न केवल आत्मशुद्धि का अवसर है, बल्कि समाज में आपसी भाईचारे, क्षमा और समर्पण की भावना को भी मजबूत करता है.