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रांची/डेस्क: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन सोमवार को गोड्डा जिले के ललमटिया स्थित स्व. सूर्या हांसदा के गांव पहुंचे. यहां उन्होंने उनके परिवार के साथ श्राद्ध कर्म में हिस्सा लिया. गांव में घुसते साथ उनका स्वागत स्व. सूर्यनारायण हांसदा द्वारा चलाए जा रहे "चाँद भैरव राजा राज विद्यालय" के सैकड़ों छात्रों ने किया, जो सूर्या हांसदा एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे. इन बच्चों के हाथों में तख्तियां थी, जिन पर "C B I जांच हो", "हमें शिक्षा दो", "दोषी को सजा दो" जैसे नारे लिखे हुए थे.
विद्यालय के सामने भावुक दिख रहे पूर्व सीएम ने कई बच्चों के सिर पर फेर कर, उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया. उसके बाद वे पीड़ित परिवार से मिलने दिवंगत सूर्या हांसदा के आवास पर पहुंचे. उन्हें देखते ही, शोक-संतप्त परिवार के सब्र परिवार के सब्र का बांध टूट गया. सूर्या के भाई के पीठ को थपथपाकर उन्होंने न्याय का भरोसा दिलाया. तत्पश्चात स्व. सूर्या हांसदा की माँ, उनकी धर्मपत्नी तथा परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उन्होंने काफी देर तक गहन चर्चा की.

परिवार से मिलने के बाद भावुक दिख रहे पूर्व मुख्यमंत्री ने सूर्या हांसदा को एक समाजसेवी एवं समाज सुधारक बताते हुए कहा कि एक ऐसा युवा जो शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाने के लिए प्रयास कर रहा था, जो लगातार वहां के खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठा रहा था, उसे पुलिस ने एक फर्जी एनकाउंटर में मार दिया.
झारखंड पुलिस की कार्य शैली पर गंभीर सवाल उठाते उन्होंने कहा कि अगर दर्ज मामलों से ही आरोपी को अपराधी मान लिया जाये, फिर तो इस राज्य में जितने भी आंदोलनकारी रहे हैं, वे सभी कभी ना कभी, कई मामलों में आरोपी बने हैं, लेकिन कालांतर में कोर्ट द्वारा उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है. उनमें और सूर्या हांसदा में क्या अंतर था?
जिन 25 एफआईआर का दावा पुलिस कर रही है, उसमें से 14 मामलों में वे पहले ही बरी हो चुके थे, पांच केसों में कोर्ट की कार्रवाई चल रही थी और वे सभी मामलों में जमानत पर थे. भविष्य में वे बाकी बचे मामलों में बरी हो सकते थे. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि जिस मामले में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने का दावा किया, उस मामले में पुलिस के पास वारंट तक नहीं था. अगर इस प्रकार पुलिस ही सभी मामलों का निष्पादन करेगी, तो फिर अदालतों की क्या जरूरत है?
उन्होंने कहा कि एक ऐसा युवक, जो समाज के भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में सोचता था, जिसके विद्यालय में सैकड़ो विद्यार्थी पढ़ते थे, अगर उसे पुलिस और सत्ताधारी दल के लोग अपराधी बताते हैं, तो बहुत अफसोस होता है. उन्होंने कहा कि परिवार के अनुसार गोड्डा पुलिस द्वारा एक साजिश के तहत उन्हें देवघर जाकर हिरासत में लिया गया, तथा उनकी हत्या कर, देर रात, उसे एनकाउंटर का रुप दे दिया गया.
सूर्या हांसदा पर एक भी ऐसा मामला नहीं था जो किसी आम व्यक्ति से संबंधित हो. उन पर अधिकतर मामले खनन माफिया एवं कारपोरेट दलालों द्वारा लगाए गए थे, जिनकी अवैध गतिविधियों के खिलाफ सूर्या आवाज उठाते थे. झारखंड की कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि यहां भोगनाडीह में वीर सिदो-कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की हत्या कर दी गई, लेकिन उनके परिवार को न्याय नहीं मिला.
उन्होंने कहा कि झारखंड में फर्जी मामलों द्वारा वैसे लोगों को फंसाना एक पैटर्न बन गया है, जो सरकार के नुमांइदों या खनन माफिया के खिलाफ अथवा आदिवासियों/ मूलवासियों के पक्ष में आवाज उठाने का साहस दिखाते हैं. इस मामले में जब पुलिस पर ही फर्जी एनकाउंटर द्वारा हत्या का आरोप लग रहा हो, तो सीआईडी से न्याय की उम्मीद रखना बेमानी है. इसलिए इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए, तभी परिवार को न्याय मिलेगा.
उन्होंने कहा कि यह झारखंड का दुर्भाग्य है कि यहां वीर सिदो-कान्हू के वंशजों पर हूल दिवस के दिन लाठियां बरसाई जाती हैं, वीर चांद-भैरव के नाम पर स्कूल चलाने वाले सूर्या को फर्जी एनकाउंटर में मार दिया जाता है. वहीं दूसरी तरफ बोकारो में आदिवासी समाज की एक बेटी से रेप का प्रयास करने वालों को यह सरकार नकद ईनाम और नौकरी देती है. क्या यही अबुआ सरकार है? क्या आदिवासियों - मूलवासियों की यही दुर्दशा देखने के लिए हम लोगों ने इतने वर्षों तक झारखंड आंदोलन कर के, अलग राज्य बनवाया था?
उन्होंने स्पष्ट किया कि वह न्याय की इस लड़ाई में पीड़ित परिवार के साथ पूरी मजबूती से खड़े हैं, तथा इस मामले की सीबीआई जांच करवाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. इसके बाद पूर्व सीएम ने पीड़ित परिवार के साथ बैठकर श्रद्धा भोज में भोजन ग्रहण किया.
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