न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अब झारखंड में एफडीआर यानी फुल डेप्थ रिक्लेमेशन तकनीक से सड़कें बनेंगी. झारखंड में पहली बार इस तकनीक का ट्रायल दुमका के नक्सल प्रभावित इलाका काठीकुण्ड में किया गया. काठीकुंड के शिवतल्ला से तिलाईटांढ़ भाया नारगंज तक करीब 12 किलोमीटर ग्रामीण सड़क का निर्माण एफडीआर तकनीक से किया जा रहा है. झारखण्ड में करीब 148 ग्रामीण सड़कों के निर्माण में एफडीआर तकनीक को अपनाएं जाने की योजना है.
इससे अब ना तो पत्थरों का दोहन होगा और ना ही पर्यावरण को नुकसान होगा. झारखंड में अब कम बजट में ग्रामीण सड़कों के निर्माण में एफडीआर टेक्नोलोजी को अपनाया जा रहा है और इसकी शुरुआत दुमका से कर दी गई है. दुमका के काठीकुंड के शिवतल्ला से तिलाईटांढ़ भाया नारगंज तक करीब 10 करोड़ रूपये की लागत से 12 किलोमीटर ग्रामीण सड़क के निर्माण में एफडीआर टेक्नोलोजी को अपनाया जा रहा है. इस तकनीक में अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. खास बात यह है कि अत्याधुनिक मशीनों से पुरानी सड़क में इस्तेमाल की गई पत्थर और अन्य मटेरियल को निकालकर उसे सीमेंट और खास केमिकल के साथ मिलाकर नयी सड़क का निर्माण किया जाएगा.
दुमका में एफडीआर टेक्नोलोजी से बन रही सड़क निर्माण से जुड़ी एजेंसी हरिनंदन चौधरी ने इसे चुनौती के तौर पर लिया. एजेंसी के मुताबिक, उन्हें जब इस टेक्नोलोजी की जानकारी हुई तो उन्होंने इस नयी तकनीक पर सड़क निर्माण का मन बनाया जो काफी चुनौतीपूर्ण है लेकिन उम्मीद है कि उनकी एजेंसी बेहतर नतीजे देगी. ग्रामीण विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता सुशील कुमार सिन्हा ने कहा कि फिलहाल 200 मीटर तक एफडीआर टेक्नोलोजी से सड़क का निर्माण कर ट्रायल किया जा रहा है. उसके बाद तकनीकी जांच में सफलता मिलने के बाद इसी तकनीक से पूरी सड़क का निर्माण किया जाएगा.