प्रशांत शर्मा/न्यूज 11 भारत
चतरा/डेस्क: विभागीय उदासीनता का आलम कुंदा प्रखंड के सिक्कीदाग पंचायत अंतर्गत लुकुइया गांव (टोला बुटकुइया) में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने खाट पर लादकर लगभग तीन किलोमीटर तक पैदल चलकर पक्की सड़क तक पहुंचकर ममता वाहन तक पहुंचा, उसके बाद अस्पताल पहुंचाया गया. ममता वाहन गांव तक नहीं पहुंच सका क्योंकि कच्ची रास्ते में टेढ़ापना नदी पड़ती हैं जिस पर आजतक पुल नहीं बन सका है.आजादी के अमृत काल में भी गांव में बुनियादी सुविधाओं घोर अभाव के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है इस घटना ने एक बार फिर से क्षेत्र में सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को उजागर किया है.
परिजनों ने बताया कि जब गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई, तो उन्होंने तुरंत ममता वाहन को बुलाया. लेकिन वाहन गांव तक नहीं पहुंच सका, जिसके कारण उन्हें खाट पर लादकर पक्की सड़क पर खड़ी ममता वाहन तक पहुंचना पड़ा उसके बाद अस्पताल ले जाया गया.ग्रामीण मरनी देवी, कोशिला देवी,पुनिता देवी,संगीता देवी, सोनी देवी,गंगोत्री देवी,फुला देवी, लखन गंझु, मनसू गंझु, सरयू गंझु,दशरथ गंझु,कारू गंझु, समेत कई ग्रामीणों ने बताया की जब बारिश होती है तो गांव पूरी तरह टापू में तब्दील हो जाता है राशन पानी का प्रबंध तो पहले से कर लेते हैं लेकिन बच्चे की पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो जाती है एवं विषम परिस्थितियों में जान जोखिम में लेकर नदी को पार करना पड़ता है.
क्या कहती हैं सिक्कीदाग मुखिया
वही इस संदर्भ में सिक्कीदाग मुखिया अनीता देवी ने बताई कि हमने इस समस्या को लेकर कई बार प्रखंड से लेकर जिला प्रशासन तक अवगत करा चुका हूं एक बार आशा जगी जब प्रशासन ने उक्त नदी पर नापी करवाकर पुल बनवाने की बात कही लेकिन नापी होने के उपरांत भी विभाग ने इस पर पहल करना उचित नहीं समझा जो विभागीय उदासीनता को दर्शाता है. मुखिया ने बताई की बारिश के दिनों में उक्त गांव के बच्चे नदी मे अत्यधिक पानी आ जाने कारण विद्यालय नहीं जा पाते है.