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रांची/डेस्क: धनेटा जाट जनजाति की महिलाएं अपनी एक विशेष और पारंपरिक आभूषण “नथली” के लिए जानी जाती हैं. यह कोई साधारण नथ नहीं, बल्कि एक मुट्ठी के आकार की भारी सुनहरी नथ होती है, जो देखने में बेहद भव्य लगती हैं. इसे पहनने के लिए महिलाओं को सिर के बालों में काले धागों से इसे सहारा देना पड़ता है, ताकि इसका वजन संतुलित रहे. यह नथली सिर्फ श्रृंगार नहीं, बल्कि एक सामाजिक पहचान और वैवाहिक स्थिति का प्रतीक होती हैं.
विवाह का प्रतीक और पारंपरिक आस्था
धनेटा समुदाय में यह माना जाता है कि नथली विवाह के पवित्र बंधन की निशानी हैं. जब कोई महिला विवाह करती है, तो उसे यह सुनहरी नथली पहनाई जाती है और इसके बाद वह इसे हमेशा पहनती है चाहे वह घर पर हो या खेतों में काम कर रही हो. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे तोड़ना अशुभ माना जाता हैं. उनका विश्वास है कि नथली स्त्री की मर्यादा और सम्मान का प्रतीक हैं.
नथली में सौंदर्य और संस्कृति की झलक
नथली को सोने, मोतियों, रंगीन मनकों और अर्ध-कीमती पत्थरों से सजाया जाता हैं. यह न केवल चेहरे की शोभा बढ़ाता है, बल्कि स्त्री की सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता हैं. धनेटा महिलाओं की यह नथली उन्हें अन्य जनजातियों से अलग करती है और उनकी परंपरा को जीवित रखती हैं.