देश-विदेशPosted at: जुलाई 30, 2025 कामचटका से ज्यादा शक्तिशाली भूकम्प दुनिया में आ चुके हैं, एक ने तो भारत में भी मचायी थी भारी तबाही
2004 की उस सुनामी को याद कर आज भी सिहर उठता है भारत

न्यूज11 भारत
रांची/डेस्क: रूस के कामचटका में आज 8.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकम्प जिसने रूस, जापान से लेकर अमेरिका तक को अलर्ट जारी करने को मजबूर कर दिया. रूस में आये इस भूकम्प के नुकसान का जायजा अभी बाकी है, मगर क्या आपको पता है कि अब तक ज्ञात शक्तिशाली भूकम्पों में रूस का यह ताजा भूकम्प छठे स्थान पर है. यानी इससे भी शक्तिशाली भूकम्प दुनिया में आ चुके हैं और उनसे काफी जन-धन की हानि हो चुकी है. तो आइये देखते हैं इससे पहले पांच और कितने शक्तिशाली भूकम्प धरती पर आ चुके हैं.
- 5. यह कैसा संयोग है कि छठे नम्बर के शक्तिशाली भूकम्प के बाद जो शक्तिशाली भूकम्प है, वह रूस के कामचटका में ही आया था 1952 में कामचटका में 9.0 की तीव्रता का भूकम्प आया था.
- 4. रूस के कामचटका के 8.8 तीव्रता के भूकम्प से ज्यादा तेज झटके 2011 में जापान को लगे थे. 9.1 तीव्रता के इस भूकम्प के बाद आयी सुनामी ने जापान ही नहीं आसपास के द्वीपों में भी भारी तबाही मचायी थी. सुनामी का असर अमेरिका के हवाई, अलास्का, कैलिफोर्निया आदि अमेरिकी राज्यों पर पड़ा था. इस भूकम्प से जापान मे काफी नुकसान हुआ था.
- 3. 2010 में चिली के बायोबियो में भी 9.1 तीव्रता का भूकम्प आ चुका है. इस भूकम्प का कारण 523 लोगों की जान चली गयी थी. इतना ही नहीं, 3.7 लाख घर बर्बाद हो गये थे.
- 3. 2004 में इंडोनेशिया के सुमात्रा में आया भूकम्प भी 9.1 की तीव्रता का था. यह वही भूकम्प है जिसका असर भारत पर भी पड़ा था और दक्षिण राज्य मद्रास में भारी तबाही मची थी. जिसमेंकुल 2.80 लाख लोग मारे गए थे.
- 3. 1906 में इक्वाडोर के एस्मेराल्डास में ऐसा भी विनाशकारी भूकम्प आया था. इस भूकम्प के बाद आयी सुनामी में 1,500 लोगों की जान चली गयी थी. लाखों घर बर्बाद हुए और इसका असर भी लाखों लोगों पर पड़ा.
- 2. 1964 में अलास्का में आया 9.2 की तीव्रता के भूकम्प को दूसरे नम्बर का शक्तिशाली भूकम्प माना जाता है. इस भूकम्प ने भी भारी तबाही मचायी थी.
- 1. 22 मई, 1960 का वह दिन जब चिली के बायोबियो में ही 9.5 तीव्रता का भूकंप आया था. इसे अब तक के ज्ञात भूकम्पों में सबसे शक्तिशाली माना गया है. इस भूकम्प में 1,655 लोग मारे गए थे. 20 लाख लोग बेघर हुए, भूकम्प से हुए नुकसान की तो कोई सीमा ही नहीं थी.