प्रशांत/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: यदि आपने वाहन बेच दिया है या वह अब इस्तेमाल लायक नहीं है और फिर भी आपने उसकी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी) को परिवहन विभाग में सरेडर (जमा) नहीं किया, तो यह भूल आपको महंगी पड़ सकती है. और आपको जाने अनजाने में लाखों हजारों रुपए टैक्स चुकाना पड़ सकता है. सरकार यह रकम आप पर प्राथमिकी दर्ज कर वसूल कर सकती है. यह मजाक नहीं है और नियम विरुद्ध भी नहीं है, हजारीबाग जिले में ऐसे लोगों पर कार्रवाई प्रारंभ हुई है और इनकी संख्या एक दो नहीं दस पांच हजार नहीं बल्कि 47 हजार है, जो सरकार के नजर में टैक्स डिफाल्टर घोषित हो गए है. जिला परिवहन कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 25 सालों में राज्य अलग से होने से अबतक हजारीबाग में 47 हजार वाहन चिंहित किए गए है और लगभग 85 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया है.
आरसी सरेडर करने के बाद ही मिल सकती है मुक्ति
सरकार को मोटरसाइकिल, कार, आटो, ट्रक जैसे सभी तरह के वाहन चाहे वे उपयोग में हों या कबाड़ बन चुके हों - पर टैक्स चाहिए होता है. जब तक आरसी वैध है, तब तक वाहन को टैक्स के दायरे में माना जाता है. यदि वाहन बंद कर दिया गया है या स्क्रैप में चला गया है, तो उसकी आरसी संरेडर करके टैक्स दायित्व से मुक्ति पाई जा सकती है. यह नियम मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 55 के तहत लागू होता है. अधिनियम कहती है कि वाहन को स्क्रैप करने के बाद आरसी (पंजीकरण प्रमाण पत्र) को सरेंडर करना अनिवार्य है. यह सुनिश्चित करता है कि वाहन का उपयोग नहीं कर रहे या फिर घर में पड़ा हो गया है बेकार, विभाग को इसकी सूचना देकर आरसी संरेडर करना अनिवार्य है. ऐसा नहीं करने पर विभाग के नजर में आप टैक्स डिफाल्टर है, विभाग सूची प्रकाशन कर ऐसे लोगों को टैक्स जमा करने का अपील की है, अन्यथा कार्रवाई होगी.