प्रशांत/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग में सड़कों का डिजाइन अंग्रेज डीसी बाडम ने तैयार किया था. अंग्रेज के जमाने में हजारीबाग की प्राकृतिक आबोहवा अच्छी रहने के कारण देश की राजधानी बनाने की कल्पना की गई थी. इस बात का उल्लेख गजट में भी मिलता है. वह समय हजारीबाग की सड़क और ड्रेनेज सिस्टम को इस तरह विकसित किया गया था कि सड़क जाम की स्थिति भी नहीं बने और जल निकासी में असुविधा नहीं हो. लेकिन बाद में हजारीबाग की जगह कोलकाता को राजधानी के लिए चयनित किया गया. हजारीबाग की आबादी और वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण सड़के संर्कीण हो गई है. जाम के बावजूद फ्लाईओवर बनाने के लिए प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा है.
शहर में मेन रोड, गुरु गोविंद सिंह रोड, नवाबगंज रोड, इंद्रपुरी चौक से रोमी तक, बुढ़वा महादेव रोड, बंसीलाल चौक, झंडा चौक, इंद्रपुरी चौक, पुराना समाहरणालय, पीटीसी चौक, मटवारी चौक, कोर्रा चौक, पुराना बस स्टैंड, जामा मस्जिद रोड, गोला बाजार, पैगोडा चौक से न्यू एरिया तक रोज जाम की स्थिति बनती है. स्कूल-कॉलेज और कार्यालय के समय जाम मे लोगों को फंसा रहना पड़ता है. कभी-कभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि लोगों को जाम से निकलना दूभर हो जाता है.
हजारीबाग: बारहमासी यातायात जाम से जूझ रहे शहर में, यातायात प्रबंधन में दैनिक सुधार के प्रशासन के दावे लगातार विफल हो रहे हैं. अंतहीन गतिरोधों से राहत का वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है. नवीनतम प्रस्ताव में गांधी मैदान के बाहरी इलाके में एक पार्किंग सुविधा बनाना शामिल है, जो कि व्यस्त मटवारी क्षेत्र में स्थित है - जो हज़ारीबाग़ के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में से एक है.
इसका उद्देश्य रोजाना ट्रैफिक जाम से जूझ रहे निवासियों को राहत दिलाना है. हालाँकि, अपेक्षित राहत उतनी आरामदायक नहीं हो सकती जितनी लगती है. कोर्रा चौक से डिस्ट्रिक्ट बोर्ड चौक तक प्रस्तावित सड़क चुनौतीपूर्ण 20 फीट चौड़ी होने की उम्मीद है. गांधी मैदान चौक के पास भी ऐसी ही चौड़ाई देखी गई है. बहस अब इस बात पर केंद्रित है कि क्या इन सड़कों के किनारे पार्किंग के लिए जगह आवंटित करने से मौजूदा यातायात समस्याएं कम हो जाएंगी या बढ़ जाएंगी.
जबकि पार्किंग स्थान स्थापित करने के बारे में चर्चा चल रही है, स्थानीय निवासी संशय में हैं. निवासी और भाजपा कार्यकर्ता रिंकू वर्मा ने क्षेत्र में ट्रैफिक जाम के कारण होने वाली निर्विवाद निराशा पर जोर दिया. जाम से होने वाली असुविधा को स्वीकार करने के बावजूद, उन्होंने चिंता व्यक्त की कि मटवारी क्षेत्र में सड़क के किनारे पार्किंग स्थल बनाने से समाधान की तुलना में अधिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
रिंकू वर्मा ने व्यापार मालिकों पर प्रभाव के बारे में भी चिंता जताई. डर यह है कि संभावित स्थान हानि के कारण भविष्य में सड़क विक्रेताओं और दुकानदारों के बीच विवाद उत्पन्न हो सकते हैं. वर्तमान में त्योहारों या आयोजनों के दौरान लोग आराम से खाली जगहों का इस्तेमाल पार्किंग के लिए कर लेते हैं. हालांकि, एक बार निर्दिष्ट पार्किंग स्थल स्थापित हो जाने के बाद, पार्किंग शुल्क के संबंध में विवाद होने की आशंका है.
इन चिंताओं को उजागर करते हुए, वर्मा ने जिला प्रशासन से पार्किंग योजना को आगे नहीं बढ़ाने का आग्रह किया. उनका मानना है कि प्रस्तावित पार्किंग आने वाले समय में नागरिकों के लिए भूलभुलैया बन सकती है. यातायात समाधान की वास्तविक आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, उन्होंने यातायात और स्थानीय व्यवसायों दोनों पर प्रभाव पर सावधानीपूर्वक विचार करने के महत्व पर जोर दिया.
यातायात प्रबंधन और स्थानीय व्यवसायों और निवासियों के हितों में संतुलन की आवश्यकता के साथ स्थिति निस्संदेह जटिल है. चूंकि शहर अपनी यातायात समस्याओं के ठोस समाधान की प्रतीक्षा कर रहा है, प्रस्तावित पार्किंग सुविधा विवाद का विषय बनी हुई है, जिससे जीवंत मटवारी क्षेत्र के लिए इसकी प्रभावकारिता और संभावित परिणामों पर सवाल उठ रहे हैं.
अतिक्रमण भी है बड़ा कारण
शहर के इंदपुरी चौक से लेकर मेन रोड होते हुए पंचमंदिर चौक तक फुटपाथ दुकानदारों या सब्जी विक्रेताओं के द्वारा सड़क का अतिक्रमण किया जाता है. इस कारण सड़क की चौड़ाई कम हो जाती है. इससे वहां से गुजरनेवाले चार पहिया वाहनों जहां तहां फंस जाते हैं, जिससे जाम की स्थिति बनती है. फुटपाथ दुकानदारों के लिए नगर निगम प्रशासन के द्वारा वेंडिग जोन बनाने की बात कही गई थी. लेकिन वह भी अब तक धरातल पर नहीं उतर पाया है. इसके अलावा शहर की कई सड़कों पर अब भी बिजली या टेलिफोन के पुराने खंभे खड़े हैं, जो सड़क की चौड़ाई घटाने का काम करते हैं. इससे भी जाम की समस्या उत्पन्न होती है.