प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग के कोर्रा क्षेत्र में सदियों से चली आ रही एक अनोखी आस्था इन दिनों दीवारों में कैद है. यह कहानी है गिद्धा गोसाई के पावन स्थल की जहां हर साल आषाढ़ माह में गांववाले सुख-शांति, समृद्धि और विकास की कामना के साथ पूजा-अर्चना करते रहे हैं. ग्रामीण बताते हैं कि यह परंपरा करीब 1800 ईस्वी के आसपास शुरू हुई थी, जब यह जमीन डबलिन यूनिवर्सिटी के अधीन थी. 1899 में यहां कोलम्बस कॉलेज की स्थापना हुई. लेकिन पूजा पद्धति बिना किसी रुकावट के जारी रही. पिछले कुछ वर्षों में कॉलेज प्रबंधन ने परिसर के चारों ओर ऊंची बाउंड़ी बना दी है. गिद्धा गोसाई का वास ठीक सड़क किनारे, झिंझरिया पुल के पास विधायक कार्यालय के सामने है, लेकिन अब वहां पहुंचने के लिए कॉलेज परिसर में प्रवेश जरूरी है.
ग्रामीणों का आरोप है कि बाउंड्री के बाद अब पूजा के समय रोक-टोक होने लगी है, जिससे सदियों पुरानी परंपरा खतरे में है. ग्रामीणों की प्रशासन से गुहार स्थानीय निवासी राजू पासवान कहते हैं कि हमारे पूर्वज सैकड़ों सालों से यहां पूजा करते आए हैं. पहले कोई दिक्कत नहीं थी, अब बाउंड्री के कारण भारी परेशानी है. राजकुमार नायक बताते हैं कि यह जमीन हमारे पूर्वजों ने ही दी थी, लेकिन आज हमसे ही पूजा में बाधा डाली जा रही है. मुकेश यादव का कहना है कि यहां झाड़ियां और गंदगी पसरी रहती है, अगर 1030 फीट का स्थान पूजा के लिए उपलब्ध करा दिया जाए, तो आस्था भी सुरक्षित होगी और सफाई भी.
बुजुर्ग करते हैं लोक कथा का जिक्र
स्थानीय बुजुर्ग महिला एक कथा का जिक्र करते हुए कहती है कि बहुत समय पहले इस क्षेत्र में सूखा पड़ा था. खेत बंजर, तालाब सूखे और भूख ने लोगों को तोड़ दिया था. तभी एक वृद्ध साधु, जिन्हें ह्यगिद्धा गोसाईड कहा जाता है, यहां आए. उन्होंने गांववालों को सामूहिक पूजा करने का आह्वान किया. अनुष्ठान के बाद बारिश आई, और गांव की किस्मत बदल गई। उसी दिन से लोग हर साल उनकी पूजा करते हैं. बुजुर्ग बताते हैं कि पहले के समय में आषाढ़ की सुबह, लोग नंगे पांव पूजा स्थल पर पहुंचते थे. महिलाएं रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर, ओ गिद्धा बाबा बरखा लाना, खेतवा में हरियाली छाना, बरखा लावा गिद्धा बाबा, धानवा में सोना उगावाजैसे लोकगीत गाती थीं.
प्रशासन को दिया गया था ज्ञापन
ग्रामीण बताते हैं कि पूर्व उपायुक्त नैंसी सहाय को भी आवेदन दिया गया था, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. अजय कुमार ने बताया कि जल्द ही ग्रामीणों की बैठक बुलाई जाएगी और सांसद व विधायक के साथ मिलकर उपायुक्त से दो-टूक बात रखी जाएगी. दिलचस्प है कि पास के जबरा गांव में गवात देवता की पूजा के लिए ग्रामीणों ने स्वयं जमीन दान कर दी है, जिससे वहां कोई विवाद नहीं होता. ग्रामीण चाहते हैं कि गिद्धा गोसाई की पूजा में आने वाली बाधाएं तुरंत खत्म हों और इस परंपरा को बचाया जाए। ग्रामीण चेतावनी दे रहे हैं कि यदि प्रशासन जल्द समाधान नहीं करता, तो वे सामूहिक प्रदर्शन करेंगे. यह मामला जमीन का नहीं, बल्कि उस लोक आस्था का है जो कोर्रा की पहचान और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है.