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रांची/डेस्क: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने भारतीय वायुसेना की ताकत देखी हैं. भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान के चीनी विमानों के छक्के छुड़ा दिए. जबकि अन्तराष्ट्रीय चुनौतियों को देखते हुए भारतीय वायुसेना के पास अभी पर्याप्त लड़ाकू विमान नहीं हैं. ऐसे में वायुसेना सरकार से नए राफेल विमानों की डिमांड कर दी हैं. भारतीय वायुसेना चाहती है कि लंबे समय से लंबित पड़े 114 मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्रोजेक्ट के तहत नए राफेल विमान उपलब्ध करवाएं जाएं.
भारतीय वायुसेना अब अपने बेड़े में देशी राफेल विमान चाहती हैं
भारतीय वायुसेना का कहना है कि फ्रांस की सरकार के साथ लंबित परियोजना के तहत नए विमान खरीदे या फिर बनाए जाएं जिससे वायुसेना की ताकत में इजाफा हो सके. इस प्रोजेक्ट को विदेशी सहयोग के साथ ज्यादातर विमान देश में ही बनाए जाएंगे. अगर दुसरे शब्दों में देंखे तो भारतीय वायुसेना अब अपने बेड़े में देशी राफेल विमान चाहती हैं.
DAC एक या दो महीने के अंदर इसे मंजूरी दे सकती
इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का पहला चरण है ऐक्सेपटेंस ऑफ नेसेसिटी (AoN). जानकारी के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) एक या दो महीने के अंदर इसे मंजूरी दे सकती हैं. वायुसेना का कहना है कि जितनी जल्दी से जल्दी हो सके नए लड़ाकू विमान बेड़े में शामिल होने चाहिए. बता दें कि 7 से 10 मई तक ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने सीमा पर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए राफेल का इस्तेमाल किया था.
पाकिस्तान का दावा उसने भारतीय वायुसेना के 6 लड़ाकू विमान मार गिराए थे
उस वक्त पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने भारतीय वायुसेना के 6 लड़ाकू विमान मार गिराए थे. जबकि, भारत ने पाकिस्तान के इन बेबुनियाद दावों को ख़ारिज कर दिया हैं. बता दें कि एमआरएफए प्रोजेक्ट पिछले वर्ष सात से आठ साल से लटका हुआ हैं. वहीं भारतीय वायुसेना में विमानों की कमी हो गई हैं. मिग-21 अगले महीने रीटायर होने वाले हैं. वायुसेना में विमानों की संख्या ऐसे में और कम हो जाएगी. पांचवी पीढ़ी के विमानों की भी भारतीय वायुसेना ने मांग की हैं.
5th जनरेशन के विमानों की भी मांग
भारतीय वायुसेना का कहना है कि अब पांचवी जनरेशन के लड़ाकू विमानों की जरुरत हैं. इनमें रूस के सुखोई -57 और अमेरिका के एफ -35 विमान शामिल हैं. जबकि इसको लेकर अभी तक कोई चर्चा नहीं शुरू हुई हैं. भारतीय वायुसेना का कहना है कि अगर सरकार से डील करके राफेल खरीद जाते हैं तो यह ज्यादा फायदेमंद होगा. भारत ने साल 2016 में 59000 करोड़ रुपए की राफेल विमानों की डील की थी. जिसके बाद वायुसेना के बेड़े में 36 राफेल विमानों को शामिल किया गया था.