प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: एनएमडीसी के अधीन रोहने कोल माइंस परियोजना अंतर्गत पोषक क्षेत्र के बड़कागांव प्रखंड अंतर्गत पसेरिया 2 स्थित विद्यालय प्रांगण में कंपनी एवं ग्रामीणों के बीच बैठक की गई. बैठक की अध्यक्षता पंचायत के मुखिया चरका करमाली एवं संचालन ग्रामीण देवनारायण गंझू ने किया. बैठक में परियोजना के उप माहाप्रबंधक सुधीर राजेश्वर सिंह ने कंपनी की सरकार द्वारा आवंटन, कंपनी की नीति, सिद्धांत रैयतों की दी जाने वाली मुआवजा, सुविधा की जानकारी देते हुए कहा कि इस परियोजना को केंद्र सरकार मिनिस्ट्री ऑफ़ कोल इंडिया द्वारा कोल बेरिंग एक्ट के तहत 2021 में आवंटन की गई है. अब तक परियोजना क्षेत्र में 5 जून 2025 को सेक्शन 9 लग चुकी है. सेक्शन 11 के बाद भूमि अधिग्रहण कार्य शुरू कर दी जाएगी. इस परियोजना में कुल 825 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, जिसमें लगभग 106 एकड़ भूमि निजी अर्थात रैयती भूमि का अधिकरण करना है.
परियोजना भूमि अधिग्रहण 2013 के तहत ही आरएनआर प्लान बनाकर रैयतों एवं ग्रामीणों को हर सुविधा देने के लिए तैयार है. अभी पूर्ण अधिकार सरकार द्वारा नहीं मिला है. सेक्शन 14 लगते- लगते कंपनी भी अपना सारा पॉलिसी तैयार कर लेगी. उन्होंने आगे कहा कि एनएमडीसी कंपनी भारत सरकार का उपक्रम कंपनी है जो भी कंपनी पॉलिसी तैयार करेगी वह सभी रैयत एवं ग्रामीणों के हित के लिए होगी. कंपनी के अधिकारी द्वारा नीति निर्धारण की जानकारी देने के बाद ग्रामीणों ने जेएसडब्ल्यू कंपनी द्वारा ली गई भूमि का निवारण, उच्च न्यायालय में चल रहे लंबित मामले, जमीन के बदले जमीन, पुनर्वास, सुख सुविधा, विकास, नौकरी की पूरी जानकारी मांगी गई. इस पर अन्य अधिकारियों ने कहा कि जो भी मामला है वह सीबी एक्ट के तहत ट्रिमिनल के माध्यम से सेक्शन 14 लगते-लगते सभी तरह का विवादों को सुलझा लिया जाएगा. आप रैयतों को किसी प्रकार की कोई कठिनाई या परेशानी नहीं होगी.
अंत में अध्यक्षता कर रहे मुखिया चरखा करमाली ने कहा कि कंपनी को नीति निर्धारण स्पष्ट करना होगा. आदिवासी समाज अधिक नहीं बोल पाते हैं तो सरकार और कंपनी इसका फायदा नहीं उठावें. वाजिब मुआवजा रैयतों को मिलनी चाहिए. नौकरी एवं रोजगार की व्यवस्था एमयू कंपनी के माध्यम से नहीं बल्कि डायरेक्ट एनएमडीसी रैयतों से बात करें. ना सांसद, ना विधायक, ना मुखिया से बात करने की जरूरत है. सुविधा के अनुसार रैयतों के बीच कमेटी बनाकर कंपनी सीधा उस कमेटी से बात करें. रैयतों को सीधा लाभ मिलेगा तो कोयला निकालने में रैयत कंपनी को पूर्ण सहयोग करेंगे. मुखिया श्री करमाली ने कहा कि जिस गैर मजरूआ जमीन पर रैयतों का कब्जा या दखल है उसका भी मुआवजा का भुगतान करना होगा. बैठक में ग्रामीण जोपल मांझी, महेंद्र मांझी, मोतीलाल मांझी, शंकर सोरेन, किशोर हांसदा, वीरेंद्र किस्कू ,राजेश गंझू, जेमिक सोरेन, गणेश मांझी, दीपक सोरेन, उमेश सोरेन, बालेश्वर गंझू,राजेंद्र सोरेन, सीमा देवी,जयंती देवी, सुनीता देवी, शांति देवी, सुमिता बेसरा सहित सैकड़ो महिला पुरुष ग्रामीण शामिल थे. जबकि कंपनी की ओर से खनन विभाग के उप महाप्रबंधक बीपी महुदवाले, उप महाप्रबंधक सुधीर राजेश्वर सिंह, भूगर्भ के उप महाप्रबंधक नसीम अंसारी, सहायक महाप्रबंधक आशीष राय, खनन के वरिष्ठ प्रबंधक अमलेंदु अमर प्रकाश, क्रैडल के पंकज कुमार सिंहा रोशन कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित थे.