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रांची/डेस्क: आज हम आपको बिहार के एक ऐसे अनपढ़ इंजीनियर की कहानी से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसकी इंजीनियरिंग देखकर आनंद महिंद्रा भी हैरान रह गए और उन्हें तोहफे में ट्रैक्टर दे दिया. बता दें, गया जिले के बांके बाजार प्रखंड क्षेत्र के कोठिलवा गांव निवासी लौंगी भुइयां की. 72 वर्षीय लोंगी भुइयां महादलित समुदाय से आते हैं और बीते 32 सैलून से पहाड़ का पानी अपने खेतों तक ले जा रहे है. इसके लिए पहाड़ से गांव तक एक नहर बनाई गई और पानी को गांव के आहर में लाया गया और अब इस पानी का उपयोग खेतों की निराई के लिए किया जा रहा है.
गांव के लोगों काफी फायदा हुआ
बता दें, लौंगी भुइयां के पास कोई डिग्री नहीं यानी की वह अंगूठा छाप है, लेकिन फिर इनकी इंजीनियरिंग देखकर हर कोई दंग है. उन्होंने अपने दिमाग का उपयोग करके कई नहरें बनाकर पहाड़ का पानी रोक दिया. अब बारिश के दिनों में पहाड़ का पानी नहर के जरिये आहर में जमा हो जाता है. आज उनके इस अच्छी पहल की वजह से गांव के लोग खेती-बड़ी कर रहे है. बता दें, पहले पानी की कमी की वजह से गांव से पलायन होता था, वह भी बंद हो गया है और अब गांव के लोग बाहर न जाकर खेती-किसानी में लगे है. 32 वर्षों तक नियंतरण कोशिश के बाद उन्होंने अकेले ही जंगल पहाड़ के पथरीले मार्ग को काटकर एक नहर बना दी. जिसके बाद बांध में सिंचाई का पानी आया और क्षेत्र के हजारों किसानों में खुशहाली आई. तभी से वह बिहार के "कैनाल मैन" के नाम से मशहूर हो गये. कैनाल मैन के नाम से फेमस लौगी भुइंया एक बार फिर 5 किमी लंबी नहर खोद रहे है. उनका लक्ष्य अब जंगलों व पहाड़ों से वास्ते होने वाले पानी को सीधे किसानों के खेतों तक पहुंचाना है.
बीते तीन दशकों से लौंग न थकी है, न रुकी है. देखा जाए तो जिसे पूरा करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है, उसे लौंगीवान ने अपनी मेहनत से सींचा है. सुबह-सुबह वह कुदाल, ओखली और मूसल उठाता है और नहर खोदने में लग जाता है. इसकी के चलते ही पहली नहर की खोदाई में उन्हें 30 साल का वक्त लग गया. लेकिन इस बार उन्होंने दूसरी नहर का आधा कार्य कुछ ही सालों में समाप्त कर लिया है.
लौंगी ने लौंगी रोकने का संकल्प लिया
लौंगी का कहना है कि इस नहर की खुदाई से जमुनिया आहर, कोटिलवा, जटाही, लुटुआ, सियारमानी, केसिमनवा, तरवा पहाड़ी, गुरिया सहित दूसरे गांवों के लोगों को लाभ होगा. दूसरी नहर खोदने के बाद इन गांवों के किसानों के खेतों तक सीधे पानी पहुंचेगा. उनके गांव के कई लोग पैसा कमाने के लिए दूसरे राज्यों में जाते थे, उन्हें घर का दबाव भी झेलना पड़ता था. उसी क्षण उन्होंने पलायन रोकने का संकल्प लिया. जिसके बाद उन्होंने नहर खोदकर पलायन रोकने का काम किया. अब इस क्षेत्र के किसान खेतों में पानी भर जाने के कारण पलायन नहीं करते हैं. अब एक और नहर खोदने से सीधे उनके खेतों में पानी आएगा.