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रांची/डेस्क: भारत की शेरनी कर्नल सोफिया कुरैशी में ऑपरेशन सिंदूर में आतंक के आकाओं को धूल चटाकर देश का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया हैं. बुधवार सुबह जब उन्होंने पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों पर हुई जवाबी कार्रवाई की ब्रीफिंग दी, तो पूरा देश तालियों से गूंज उठा. 26 सैलानियों की निर्मम हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया. इंडियन आर्मी ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत PoK और पाकिस्तान के भीतर मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. इन ठिकानों में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का कैंप भी शामिल हैं.
कर्नल सोफिया की हुंकार से कांपा पाकिस्तान
ब्रीफिंग के दौरान जब कर्नल सोफिया कुरैशी ने साफ शब्दों में कहा कि "हमारा उद्देश्य आतंकवाद को जड़ से खत्म करना है", तो न सिर्फ भारत के नागरिकों का दिल गर्व से भर गया बल्कि दुश्मनों के होश भी उड़ गए.
सेना नहीं ये है परंपरा
गुजरात के वडोदरा से ताल्लुक रखने वाली कर्नल सोफिया के परिवार में देशसेवा कोई नया शब्द नहीं हैं. उनके पिता ताज मोहम्मद कुरैशी खुद 1971 की बांग्लादेश मुक्ति जंग में हिस्सा ले चुके हैं. बेटी की सफलता पर वे कहते है "हमें गर्व है कि हमारी बेटी ने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई. अगर मौका मिले तो आज भी जाकर पाकिस्तान को खत्म कर दूं." ताजुद्दीन कुरैशी बताते है कि उनके दादा, पिता और अब बेटी- तीन पीढ़ियां सेना में रह चुकी हैं. वे कहते है 'हमारी सोच (वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम) की है – हम पहले भारतीय हैं, फिर कुछ और.'
प्रोफेसर से बनी फाइटर
कर्नल सोफिया ने एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा से बायोकैमिस्ट्री में एमएससी किया और पीएचडी कर रही थी. लेकिन देशभक्ति के जुनून ने उन्हें सेना की ओर खींचा और उन्होंने भारतीय सेना के सिग्रल कोर में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत शामिल होकर देशसेवा को अपना धर्म बना लिया.
बता दें कि, कर्नल सोफिया ने 1997 में मास्टर्स किया और सेना के सिग्नल कोर में शामिल हुई. 2016 में कर्नल सोफिया ने 'फोर्स 18' नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सैन्य दल की कमान संभालकर इतिहास रच दिया था. ऐसा करने वाली वह पहली महिला अधिकारी बनी. इससे पहले वह कांगो में संयुक्त राष्ट्र पीसकीपिंग मिशन का हिस्सा भी रह चुकी हैं.