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रांची/डेस्क: भाद्रपद माह की सुगंधित हवाओं में कान्हा के जन्मोत्सव की आहट गूंजने लगी हैं. देशभर में भक्त श्रीकृष्ण के आगमन की तैयारियों में जुटे हैं. इस बार 16 अगस्त को पूरे देश में जन्माष्टमी मनाई जाएगी. यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता हैं. आमतौर पर मथुरा और वृंदावन को ही श्रीकृष्ण भक्ति का केंद्र माना जाता हैं. देश भर से लोग यहां खासतौर पर इस मौके पर आते हैं. वैसे भारत में ऐसे कई जगह हैं, जहां कान्हा का जन्मोत्सव उतनी ही आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं. वहीं इस बार जन्माष्टमी को लेकर तिथियों के संयोग ने लोगों में उत्सुकता बढ़ा दी हैं.
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11:49 बजे शुरू होगी और 16 अगस्त की रात 9:24 बजे तक रहेगी. वहीं रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह 4:38 बजे से प्रारंभ होगा. उदया तिथि को मान्यता देते हुए, पूरे देश में जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाया जाएगा.पूजा का शुभ समय 16-17 अगस्त की मध्यरात्रि 12:04 बजे से 12:47 बजे तक तय किया गया है, जबकि चंद्रोदय 16 अगस्त की रात 11:32 बजे होगा. मध्यरात्रि का वह पावन क्षण, जब कान्हा का जन्म हुआ माना जाता है, 12:25 बजे आएगा. व्रत रखने वाले श्रद्धालु अगले दिन 17 अगस्त की सुबह 5:51 बजे पारण कर सकते हैं.
झांकियों और दही-हांडी का आयोजन
जन्माष्टमी की रात मंदिरों में झांकियां, माखन-मिश्री का भोग, घंटियों की मधुर ध्वनि और झूले में विराजमान लड्डू गोपाल का दृश्य हर भक्त को भाव-विभोर कर देगा. इस दिन दही-हांडी उत्सव कान्हा की बाल लीलाओं की याद दिलाएगा. परंपरा के अनुसार, रात 12 बजे भगवान का दूध, जल और पंचामृत से अभिषेक कर उन्हें नए वस्त्र पहनाकर झूला झुलाया जाता हैं.
इस साल का पर्व खास इसलिए भी है क्योंकि माना जा रहा है कि यह भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव होगा. आस्था, भक्ति और उल्लास से भरी यह रात एक बार फिर गोकुल की गलियों जैसी रौनक बिखेर देगी.