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रांची/डेस्क: पटना शहर में विभिन्न स्त्रोतों से उत्पन्न हो रहे ध्वनि प्रदुषण पर प्रभावी नियंत्रण के उद्देश्य से बिहार राज्य प्रदुषण नियंत्रण पर्षद की ओर से हर रविवार को नो हॉर्न डे मनाया जाएगा. बोर्ड की ओर से शहरवासियों से अपील की गई है कि हर रविवार को वाहन चालक अपने वाहन का हॉर्न न बजाएं ताकि शहरवासियों को ध्वनि प्रदुषण से राहत मिल सके.
शहर में फिलहाल अभी भी अनावश्यक हॉर्न बजाने की प्रवृति बनी हुई हैं.बोर्ड के तरफ से एडवाइजरी जारी की गई है कि हर रविवार को 'नो हॉर्न डे' का पालन करें. अगर जरुरत न हो तो किसी भी दिन अनावश्यक हॉर्न बजाने से बंचे.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए 2 अक्टूबर तक विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत विशेष रूप से शहर के शांत घोषित क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण न करने की अपील की गई है. अधिकारियों का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए नागरिकों का छोटा सा सहयोग भी वातावरण और स्वास्थ्य के लिए बड़ा योगदान साबित होगा.
अभियान के तहत शहर को चार जोन में बांटकर बोर्ड की टीमें ‘नो हॉर्न डे’ और बेवजह हॉर्न नहीं बजाने के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं. प्रत्येक रविवार को हॉर्न न बजाने की पहल को नागरिकों ने भी सराहा है.
बोर्ड ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके अनुसार सक्षम प्राधिकार की अनुमति के बिना लाउडस्पीकर और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का उपयोग वर्जित है. रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर, डीजे और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली के उपयोग पर रोक है.
न्यायालय, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, आवासीय क्षेत्रों जैसे शांत क्षेत्रों और सचिवालय, विधानमंडल, राजभवन, जैविक उद्यान जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के 100 मीटर के दायरे में शोर उत्पन्न करना प्रतिबंधित है. ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के उल्लंघन पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा 15 के तहत आर्थिक दंड लगाया जाएगा. नियम तोड़ने पर डीजे समेत अन्य उपकरण जब्त भी किए जा सकते हैं.