महान भूगोलवेत्ता स्ट्रैबो ने भी अपने शोध में मानी थी ये बात..
न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्कः- 2018 में इस मंदिर की सच्चाई सामने आई, तुर्की के प्राचीन शहर हेरोपोलिस देश विदेश के शैलानियों के लिए एक बड़ा आकर्षक सेंटर रहा था. यहां प्राचीन चीजों को देखने व सुनने वाले लोग ज्यादा आते थे. पर यहां आकर इस मंदिर में जाने वाले लोगों का कुछ पता नहीं चल पाता था. बताया जाता है कि मंदिर के आसपास आने जाने वाले इंसान पशु पक्षी तक की मौत हो जाती है. यही कारण है कि ये मंदिर रहस्यमयी हो गई है.
मंदिर में जाने वाला वापिस नहीं आता
ऐसे घटना होने के बाद इसे प्लूटो का मंदिर कहा जाने लगा. कुछ लोग इसे मौत की देवता का मंदिर भी कहने लगे हैं. स्थानीय लोग तो इस मंदिर के आसपास भी आना जाना छोड़ दिए हैं. न ही किसी पर्यटक को यहां जाने दिया जाता है. बताया जाता है कि पिंजरे में पछी रखकर ये साबित किया जाता है कि यहां मौत के देवता रहते हैं. चुंकि यहां जो भी पक्षी रखा गया वो पूरी तरह से मौत के मुंह में चला गया.
तुर्की एक रहस्यमयी मंदिर
इस जगह का रहस्य धीरे धीरे बढता चला गया औऱ प्लूटो का मंदिर एक खतरा का केंद्र बन गया. हालांकि इस मंदिर के बारे में फिलहाल अधिक जानकारी नहीं मिल पाई है. रोमन माइथॉलोजी में माना जाता है कि प्लूटो धरती के नीचे का एक देवता है, कुछ लोग इसे अंधविश्वास के रुप में देखते हैं कुछ लोग इसे नरक का द्वार बोलकर नजदीक जाने से डरते हैं.
आसपास भटकने वाले पक्षी भी नहीं बचे जिंदा
बता दें कि इस मंदिर का रहस्य 2018 में सामने आया है प्राचीन भूगोलवेत्ता स्ट्रैबो ने अपने शोध में माना था कि इसके अंदर जो कोई भी जाता है जिंदा वापस नहीं आता. स्ट्रैबो ने एक चिड़िया को भेजा जिसकी कुछ ही देर में मौत हो गई थी. लेकिन इसका कारण उस दौरान वहां मौजूद कार्बनडाईआक्साइड को माना गया था जिसका स्तर 91 प्रतिशत था.
साइंस व मान्यता
स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां पहले बलि दी जाती थी यही कारण है कि यहां की कुदाई करने पर पशु पक्षी कंकाल आदि मिलते हैं. अब तो ये लड़ाई विज्ञान व मान्यता के बीच की हो गई है. यहां जो गया फिर वापस नहीं आया.