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रांची/डेस्क: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव और चीन में कारोबारी माहौल में बदलाव के चलते लगभग 50 अमेरिकी कंपनियां अपने कारोबार को चीन से बाहर निकालने की योजना बना रही हैं. इनमें से 30 प्रतिशत कंपनियां भारत का रुख कर सकती है, जिससे भारत को निवेश का बड़ा अवसर मिलेगा.
भारत की बढ़ती प्राथमिकता
U.S. Chamber of Commerce द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि इन 50 कंपनियों में से 15 कंपनियां सीधे भारत में निवेश करने की इच्छुक हैं. इन कंपनियों का कुल निवेश अनुमानित 12 लाख करोड़ रूपए हैं. जानकारी के अनुसार, भारत अब Mexico, America और Europe को पीछे छोड़ते हुए निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा हैं. पिछले साल भारत को निवेश के लिए 5वां स्थान दिया गया था, जबकि इस साल यह रैंकिंग बढ़कर दूसरे स्थान पर पहुंच गई हैं. इस परिवर्तन के पीछे मुख्य कारण भारत का बढ़ता हुआ मार्केट और निवेश का अनुकूल माहौल हैं.
क्षेत्र विशेष में रूचि
यह भी बताया गया है कि प्रबंधन से जुड़ी कंपनियों में भारत की प्राथमिकता बढ़ रही हैं. पिछले साल, चीन में निवेश करने की योजना बना रही 40 प्रतिशत अमेरिकी कंपनियां अब भारत में निवेश पर विचार कर रही हैं. खासकर प्रबंधन परामर्श क्षेत्र में, 54 प्रतिशत कंपनियों ने अपने निवेश की दिशा भारत की ओर मोड़ दी हैं. U.S. Chamber of Commerce के सदस्यों ने यह बताया है कि गारमेंट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी भारत में निवेश की संभावनाओं को लेकर सकारात्मक नजरिया रखता हैं.
कोरोना के बाद का माहौल
कोरोना महामारी के बाद भारत में निवेश का माहौल काफी सुधरा हैं. कई अमेरिकी कंपनियों ने भारत में बेहतर कारोबारी वातावरण की सराहना की हैं. यह स्थिति विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाती है जब चीन में निवेश के माहौल में तेजी से परिवर्तन आ रहा हैं.
चीन की आर्थिक चुनौतियां
चीन में Xi Jinping सरकार द्वारा लागू की गई नई नीतियों के कारण बेरोजगारी और जनसंख्या की उम्रदराजी जैसे सामाजिक-आर्थिक मुद्दों ने विदेशी निवेशकों के भरोसे को हिला दिया हैं. रिपोर्ट की माने तो चीन में 16 से 24 वर्ष की आयु के युवाओं में बेरोजगारी दर 21.3 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो तीन दशकों में सबसे अधिक हैं. इन सभी आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों के बीच चीन की आर्थिक स्थिरता पर सवाल उठने लगे है, जिससे अमेरिकी कंपनियों का ध्यान भारत की ओर बढ़ रहा हैं.
इस बदलाव के साथ भारत को एक संभावित लाभकारी बाजार के रूप में देखा जा रहा हैं. अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव के बीच भारत के लिए यह एक सुनहरा अवसर है, जो देश की आर्थिक वृद्धि और विकास को नई दिशा दे सकता हैं.