झारखंड » चतराPosted at: अगस्त 03, 2025 सदर अस्पताल, चतरा में पोस्टमार्टम हाउस और ओपीडी तक जाने का है एक ही रास्ता
शवों को लाने व ले जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता नहीं गुहार के बाद भी प्रबंधन मौन

प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
चतरा/डेस्क:- सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम हाउस और ओपीडी तक जाने का एक ही रास्ता है. इसी रास्ते से मरीज और शवों का लाना ले जाना हो रहा है. शवों से निकलने वाला दुर्गंध से मरीज स्वस्थ होने के बजाय बीमार पड़ रहे है. वहीं अचानक शव देखकर हार्ट के मरीजों को अटैक आने की संभावनाएं रहती है. जिस वजह से मरीजों के साथ-साथ बच्चों को मानसिक व भावनात्मक प्रभाव से ग्रसित हो रहे है. सदर अस्पताल में अगर एक साथ दो या तीन शव आती है, तो ओपीडी परिसर में ही रख दिया जाता है. जहां शव रखा जाता है, ठीक उसके बगल में शिशुओं का टीकाकरण होता है. जबकि उसके पीछे शव का पोस्टमार्टम होता है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन एक या दो शव पोस्टमार्टम के लिए आती है. जबकि सैकड़ों लोग उपचार के लिए पहुंचते है. एक रास्ते शव व मरीज के आने-जाने का सिलसिला वर्ष 2017 से चल रहा है. बावजूद इसके निराकरण नही हो सका है. विशेषज्ञ चिकित्सक बताते हैं कि अकड़न पन शव रहने पर तीन से चार घंटे में बदबू आने लगती है. जबकि मौत के 24 घंटा बाद से शव दुर्गंध देने लगता है. उससे निकलने वाली इंफेक्शन लोगों को गंभीर बीमार कर सकता है. वहीं अस्पताल में गर्भवती महिलाएं भी उपचार के लिए आती है. जिस स्थान पर महिलाएं कतारबद्ध होकर चिकित्सक से उपचार के लिए अपनी बारी का इंतजार करती है, ठीक वहीं से शव गुजरता है. जिससे उनमें मानसिक व भावनात्मक प्रभाव पड़ सकता है. जबकि पेट में पल रहे बच्चों में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. इतना ही नही पोस्टमार्टम के पश्चात ट्राली पर शव वापस ले जाने के क्रम में फर्श पर खून भी गिरते रहता है. शव के पास से गुजरने वाले मरीज व उनके स्वजन मुंह ढकना पड़ रहा है. सबकुछ जानकार भी स्वास्थ्य के अधिकारी मौन धारण किए हुए है. मरीज के साथ आने वाले स्वजन अस्पताल प्रबंधन से कई बार रास्ता परिवर्तन की गुहार लगा चुके है. लेकिन अबतक इनकी बातों पर ध्यान नही दिया गया है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पोस्टमार्टम हाउस तक शव ले जाने के लिए दूसरा रास्ता बनाया जा रहा है. जल्द ही रास्ता परिवर्तन किया जाएगा.