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रांची/डेस्कः- धार्मिक मान्यताओं में रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है रुद्र व अक्ष, अथार्त भगवान शिव के आंसु से उत्पन्न. यानी कि जिसमें शिव की शक्तिया समाहित हों. रुद्राक्ष का प्रयोग पुराने समय से अध्यात्मिक लाभ, अपनी सुरक्षा व ग्रहों की शांति के लिए किया जाता है. इसके बारे में कहा जाता है कि यह 21 मुखी होता है हालांकि रुद्राक्षदुर्लभ होता है. इसका पेड़ पहाड़ी इलाको में मिलता है. बर्मा, थाइलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल में इसके पेड़ बहुत मात्रा में पाए जातें हैं. इसी पेड़ का बीज रुद्राक्ष कहलाता है. हालांकि भारत में भी इसके कई जगह पर पेड़ पाए जाते हैं. माना जाता है तकि इसके पहनने से एकाग्रता व अध्यात्मिकता में उन्नति मिलती है. इसके धारण से लोगों के अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है. जिसके कुंडली में सूर्य कमजोर है उसे एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. इस हिसाब से इसका मांग बहुत ज्यादा है. एकमुखी रुद्राक्ष बड़ी मुश्किल से मिलता है जिससे इसकी कीमत में और इजाफा हो जाती है.
एकमुखी रुद्राक्ष को पवित्र व दुर्लभ माना जाता है इसे भगवान शिव प्रतीक माना जाता है. मानसिक शांति साकारत्मक उर्जा आती है. इसका आकार गोल होता है. दिखने में आधे चंद्रमा जैसा होता है. इसे खरीदने में लोग लाखों में पे करते हैं.