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रांची/डेस्क: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग राज्य की मतदाता सूची का व्यापक पुनरीक्षण कर रहा है. लेकिन चुनाव के इस मतदाता सूची संशोधन कार्य का बिहार की विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही है. यहां तक कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है. और विपक्षी पार्टियों द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को सुनवाई करने वाला है. विपक्षी दलों की चिंता पुनरीक्षण प्रक्रिया की वैधता को लेकर है, इसी कारण उन्होंने इस पर तत्काल सुनवाई की मांग की है, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.
बता दें कि हाल ही में चुनाव आयोग ने बिहार की सभी पार्टियों को अपनी बात कहने के लिए अपने आफिस बुलाया था, कांग्रेस, राजद, सीपीआई माले समेत अन्य पार्टियां भी चुनाव आयोग पहुंची थी, लेकिन चुनाव आयोग कार्यालय से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा था, क्योंकि आयोग का कहना था कि वह सिर्फ पार्टी प्रमुखों से ही बात करेगा, जिस पर सभी पार्टियों ने अपनी नाराजगी जतायी थी.
चुनाव आयोग की प्रक्रिया को लेकर चार याचिकाएं की गयीं दायर
बिहार की मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के खिलाफ विपक्षी पार्टियों समेत 4 याचिकाएं दायर हैं. आरजेडी सांसद मनोज झा, एडीआर, सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव और लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा शामिल ने ये याचिकाएं दायर की हैं. सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी पार्टियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, गोपाल शंकरनारायणन के आलावा शादान फरासत भी पक्ष रखेंगे. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जयमाल्या बागची की पीठ में यह मामला सुनवाई के लिए पहुंचा है.