न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट ने एक याचिका को खारिज करते हुए प्रार्थी पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने कहा कि यह मामला पहले से ही सक्षम प्राधिकार में विचाराधीन था, ऐसे में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना अनुचित था. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला हाईकोर्ट की प्राथमिक सुनवाई के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. यह फैसला न्यायमूर्ति राजेश शंकर की एकल पीठ ने सुनाया.
यह याचिका रांची के हिनू निवासी लीलावती देवी की ओर से दायर की गई थी. याचिका में उन्होंने दावा किया था कि कुछ लोगों ने उनके घर के सामने सड़क पर अवैध रूप से सेफ्टी टैंक बना दिया है, जिसे हटवाने के लिए उन्होंने एसडीएम को आवेदन दिया था. इस दौरान सक्षम अदालत ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए विवादित स्थल पर धारा 144 लागू कर दी थी और रांची नगर निगम को स्थल का निरीक्षण करने का निर्देश दिया था. नगर निगम की रिपोर्ट में पुष्टि हुई थी कि वहां अवैध सेफ्टी टैंक बना है, जिसे तोड़ने की सिफारिश की गई थी. इसके बाद निगम की ओर से टैंक को तोड़ने का आदेश भी जारी किया गया.
हालांकि, जब टैंक नहीं हटाया जा सका, तो लीलावती देवी ने रांची नगर निगम में फिर से आवेदन दिया, लेकिन समाधान न मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. हाईकोर्ट ने याचिका को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि जब मामला पहले से ही सक्षम प्राधिकरण के समक्ष लंबित था, तो दोबारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इसी आधार पर कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए प्रार्थी पर 25 लाख रुपये का हर्जाना लगाया.