न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष केशव महतो कमलेश के प्रेस वार्ता पर पलटवार करते हुए कांग्रेस को देश की सबसे बड़ी ओबीसी विरोधी पार्टी करार दिया. प्रतुल ने कहा कि 25 जुलाई के ओबीसी प्रदर्शन में भागीदारी की घोषणा सिर्फ नाटक है. ओबीसी को 27% आरक्षण देने वाले मंडल कमेटी की सिफारिशों को कांग्रेस की स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी एवं स्वर्गीय राजीव गांधी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकारों ने 1980 से 1989 के बीच में कई वर्षों तक दबा कर रखा था.
हद तो तब हो गई थी जब अगस्त ,1990 में मंडल कमीशन रिपोर्ट को सदन में पेश किया गया, तब तत्काली नेता प्रतिपक्ष राजीव गांधी जी ने इसका पॉइंट दर पॉइंट विरोध करते हुए इसे देश को तोड़ने वाला बताया था.प्रतुल ने कहा कि झारखंड में तो कांग्रेस ने पंचायत स्तर पर ओबीसी समुदाय को नेतृत्व विहीन कर दिया क्योंकि उनके गठबंधन सरकार ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवा लिया.इन्होंने तो बिना ओबीसी आरक्षण के नगर निकाय चुनाव की भी अधिसूचना जारी कर दी थी.बाद में सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद मामला रुका. ट्रिपल टेस्ट और पिछड़ों को आरक्षण का मामला भी इस सरकार ने न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद लंबे समय से लटका कर रखा है.
प्रतुल ने कहा कि गठबंधन सरकार की एकजुटता का दावा लगातार तथ्यों से टकराता है. एक तरफ कांग्रेस नेता कहते हैं कि कोई नाराज नहीं है, वहीं आए दिन विधायकों के अलग-अलग बयान, मंत्री और विधायकों की अनुपस्थिति, और अंसारी परिवार से जुड़ी घटनाएं अलग ही तस्वीर पेश करती हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बंधु तिर्की नगड़ी में रिम्स टू का विरोध करते है. तो वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ' रिम्स टू वही बनेगा' का नारा लगाते हैं. दीपिका पांडे सिंह अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने में बैठी थी. इतने दिनों के बाद दिया गया इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण ही खुद संदेह पैदा करता है.हद्द तो तब हो जाती है कि जब कांग्रेस विधायक दल के उप नेता राजेश कच्छप मुख्यमंत्री की स्वीकृति प्राप्त मुख्य सचिव के द्वारा निर्गत आदेश को अंचलाधिकारी के मुंह पर फेंक देते हैं.प्रतुल ने कहा कि पूरे सरकार में अराजकता चरम पर है. दूल्हे के फूफा वाली स्थिति हो गई है. कौन नाराज है और कौन किसको माना रहा है,रोज सिर्फ़ यही ड्रामा हो रहा है.
प्रतुल ने कहा कि पूरे प्रदेश में कांग्रेस के संगठन की स्थिति खस्ता हाल है.अब तो प्रदेश अध्यक्ष ने भी स्वीकार कर लिया है कि अब तक जमीनी संगठन का ढांचा पूरी तरह से तैयार नहीं है. इसलिए पंचायत स्तर तक पार्टी को ले जाने की बड़ी बड़ी घोषणाएं की गई.जबकि सच्चाई है कि कांग्रेस यहां सिर्फ झारखंड मुक्ति मोर्चा के कंधे पर सवार हो कर बैतरणी पार करती रही है.