प्रशांत/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग में आरोग्यम अस्पताल को सरकारी भवनों के अवैध आवंटन का मामला अब तूल पकड़ चुका है. आरोप है कि जिला परिषद ने नियमों को ताक पर रखकर, बिना किराया तय किए, बिना स्टांप ड्यूटी और बिना वैध लीज दस्तावेजों के शहर के प्रमुख डिस्ट्रिक्ट चौक पर तीन भवन आरोग्यम अस्पताल को सौंप दिए. इस पूरे प्रकरण में सरकारी विभागों की मिलीभगत का संदेह गहरा रहा है और कांग्रेस नेता व सदर विधायक ने सीबीआई जांच की मांग की है.
क्या है पूरा मामला?
हजारीबाग जिला परिषद पर आरोप है कि उसने आरोग्यम अस्पताल को करोड़ों की सरकारी संपत्ति बेहद असामान्य और अवैध तरीके से आवंटित कर दी. जानकारी के मुताबिक ये तीन भवन डिस्ट्रिक्ट चौक जैसे प्राइम लोकेशन पर स्थित हैं जहां सैकड़ों दुकानों को बसाने की योजना थी. आरोप है कि इन भवनों का आवंटन बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के किया गया. इसमें किराया निर्धारण, स्टांप ड्यूटी और उचित लीज दस्तावेज शामिल नहीं थे.
नियमों की अनदेखी और मिलीभगत का संदेह
जानकारों का कहना है कि किसी भी सरकारी संपत्ति के हस्तांतरण के लिए बैंक गारंटी, स्टांप ड्यूटी और किराया निर्धारण अनिवार्य होता है. बावजूद इसके इस मामले में इन सभी प्रक्रियाओं को कथित तौर पर दरकिनार कर दिया गया. इतना ही नहीं भवन आवंटन से पहले भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया भी पूरी नहीं की गई थी. पंचायती राज निदेशक को भेजी गई रिपोर्ट में भी इन गंभीर अनियमितताओं का कोई जिक्र नहीं किया गया. इससे दो विभागों की मिलीभगत का संदेह और बढ़ जाता है.
पूर्व डीसी ने मानी थी गड़बड़ी पर ठंडे बस्ते में कार्रवाई
हजारीबाग की पूर्व उपायुक्त नैंसी सहाय ने स्वीकार किया था कि प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है और उन्होंने जांच की बात कही थी लेकिन अब तक कोई ठोस निष्कर्ष सामने नहीं आया है. कांग्रेस नेता संजय तिवारी ने तत्कालीन डीसी को पत्र लिखकर बताया था कि आरोग्यम को दी गई लीज नियम विरुद्ध है क्योंकि यह खासमहल की भूमि पर बिना किसी पूर्वानुमति के दी गई है जो लीज की शर्तों का सीधा उल्लंघन है. संजय तिवारी ने इस मामले में छह दिनों का आमरण अनशन भी किया था. उनका आरोप है कि अस्पताल संचालक बिना किसी वैध अनुमति के करोड़ों रुपये की कमाई कर रहा है.
स्वास्थ्य विभाग की भी थी आपत्ति
आरोग्यम अस्पताल पहले से ही स्वास्थ्य विभाग की नजर में था. औषधि निरीक्षक की जांच में रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद और उपयोग में अनियमितताएं पाई गई थीं. विभाग के अनुसार 11 वायल का खरीद बिल और उपयोग की गई वायल की गिनती प्रस्तुत नहीं की गई थी.
विधायक प्रदीप प्रसाद ने भी लगाया गंभीर आरोप, सीबीआई जांच की मांग
हजारीबाग के सदर विधायक प्रदीप प्रसाद ने इस मामले को बेहद गंभीर बताया है. उन्होंने सवाल उठाया है कि शहर के इतने महत्वपूर्ण स्थान पर जहां सैकड़ों दुकानों को बसाने की योजना थी वहां मात्र 12 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से एक निजी अस्पताल को जमीन कैसे दी गई. विधायक ने आरोग्यम अस्पताल को 'इलाज के नाम पर लूट का अड्डा' बताते हुए पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग की है.
आगे क्या?
जिला परिषद की कार्यशैली, डीसी स्तर की मंजूरी में कमी, स्वास्थ्य विभाग की आपत्तियां और स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए सवालों के बाद, अब सबकी निगाहें राज्य सरकार पर टिकी हैं. क्या यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा या वास्तव में एक निष्पक्ष उच्च स्तरीय या सीबीआई जांच होगी? बहरहाल इस पूरे प्रकरण पर आरोग्यम अस्पताल के निदेशक हर्ष अजमेरा से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.
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