पंकज कुमार/न्यूज11 भारत
घाघरा/डेस्क: घाघरा थाना छेत्र से 8 किलोमीटर की दूरी पर देवाकी पंचायत का बाड़ोटोली गांव आजादी के 77 साल बाद भी विकास से कोसों दूर है. यहां के लोग आज भी बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास न सड़क, स्कूल और पुल जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं.
शिक्षा स्वास्थ्य और अजीविका सभी पर पड़ रहा है भारी
बाड़ोटोली गांव तक पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है. यहां के निवासियों को हर दिन उबड़-खाबड़ और कच्चे रास्तों से गुजरना पड़ता है. बारिश के मौसम में यह रास्ता कीचड़ में तब्दील हो जाता हैं और ये कीचड़ वाला रास्ता खतरनाक हो जाता है.
मरीज को अस्पताल पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती
गांव में सड़क न होने से सबसे ज्यादा दिक्कत स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर होती है.
गर्भवती एवं बीमारों मरीज के लिए खतरा
यदि कोई ग्रामीण बीमार पड़ जाता है, तो उसे अस्पताल तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती बन जाता है. एंबुलेंस तो दूर की बात है, यहां पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में, गांव वाले मरीजों को कंधों पर उठाकर एक किलोमीटर तक पैदल चलते हैं, तब जाकर वे पक्की सड़क तक पहुंच पाते हैं.
बच्चों की शिक्षा की स्थिति भी दयनीय है. गांव में कोई स्कूल नहीं है, जिससे बच्चों को पढ़ाई के लिए दूर जाना पड़ता है.
इसके अलावा, गांव के पास बहने वाली नदी पर पुल नहीं है. खासकर बारिश में नदी पार करना बेहद मुश्किल हो जाता है, जिससे लोगों का संपर्क बाहर की दुनिया से कट जाता है.
स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि से गुहार
बाड़ोटोली के ग्रामीण सरकार और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के कारण यहां के ग्रामीण निराश हैं. वे लगातार यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनके गांव में जल्द से जल्द सड़क, स्कूल और पुल जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. गांववालों का कहना है कि वे भी एक सम्मानजनक और बेहतर जीवन जीना चाहते हैं. यह गांव आज भी आदिम युग में जीने को मजबूर है और विकास के नाम पर सिर्फ वादे मिल रहे हैं.
यह भी पढ़ें: केरेडारी में डायरिया का प्रकोप बढ़ा, एक की मौत, 8 लोग गंभीर रूप से बीमार इलाज जारी