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रांची/डेस्क: बिहार के पूर्णिया जिले में अंधविश्वास ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया हैं. जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत रजीगंज पंचायत के टेटगामा आदिवासी टोला में रविवार रात एक ही परिवार के पांच लोगों को डायन बिसाही का आरोप लगाकर जिंदा जला देने की सनसनीखेज घटना सामने आई हैं. इस भयावह वारदात के बाद पुलिस ने जांच तेज कर दी है और अब इस मामले में नई परतें खुल रही हैं.
घटना के पीछे एक तांत्रिक की भूमिका सामने आई है, जिसने गांव के लोगों को उकसाया. गांव की 70 वर्षीय कातो देवी को डायन बताकर निशाना बनाया गया. इसी अंधविश्वास के चलते ग्रामीणों ने उनके पूरे परिवार को जिंदा जलाकर मार डाला. पुलिस जांच में गिरफ्तार नकुल उरांव ने कबूल किया कि उसने शवों को छुपाने के लिए 40 हजार रूपए में ट्रैक्टर किराए पर मंगवाया था.
बताया जा रहा है कि नकुल उरांव ने अपने साथी मु. सनाउल्ला के जरिए ट्रैक्टर बुलवाकर शवों को लादकर एक किलोमीटर दूर ईंट भट्ठे के पास पोखर किनारे जेसीबी से गड्ढा खुदवाकर दफना दिया. घटना के बाद पूरा गांव खाली हो गया है, लोग घर छोड़कर फरार हो गए हैं. चश्मदीद और मृतक बाबूलाल उरांव के बेटे सोनू कुमार ने पुलिस को बताया कि गांव के करीब 50 से 60 लोग अचानक उनके घर में घुस आए और उनके माता-पिता, दादी, भाई और भाभी को पीटते हुए बांधकर ले गए, फिर जिंदा जला दिया.