न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) से जुड़े एक अहम मामले की सुनवाई के दौरान नॉन-प्रैक्टिस भत्ता लेने के बावजूद निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने यह आदेश रिम्स की व्यवस्था से संबंधित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया.
अदालत ने रिम्स की जनरल बॉडी की बैठक 8 से 14 सितंबर के बीच आयोजित करने का निर्देश दिया है. साथ ही, बैठक की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) के रूप में नियुक्त किया गया है. बैठक में लिए गए निर्णयों की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करनी होगी.
कोर्ट ने रिम्स निदेशक को स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि वे उन चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करें जो नॉन-प्रैक्टिसिंग एलाउंस (भत्ता) लेने के बावजूद निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त, निदेशक को अब तक हुई कार्रवाई की जानकारी अदालत को देने का भी निर्देश दिया गया है. साथ ही, अदालत ने रिम्स की ऑडिट से जुड़ी जानकारियां भी मांगी हैं. निदेशक से यह पूछा गया है कि संस्थान में अब तक कब-कब ऑडिट हुआ है, और इसकी पूरी विवरणी शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में दाखिल की जाए. मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को निर्धारित की गई है.