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सावन के महीने में आने वाले सोमवार और प्रदोष व्रत को बहुत ही खास माना गया हैं. अगर सावन महीने में सोमवार को ही प्रदोष व्रत रहता है तो ये बहुत ही शुभ संयोग बन जाता है. इस योग में शिव पूजा जरूर करनी चाहिए ये काफी फलदायी होता है. इस साल सावन महीने के दूसरे सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग और सोम प्रदोष व्रत का योग अर्थात तीन शुभ संयोग बन रहा है. हिन्दी पंचांग में जब प्रदोष सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष, मंगलवार को आता है तो उसे भौम प्रदोष और जब शनिवार को प्रदोष रहता है तो उसे शनि प्रदोष कहते हैं.
प्रदोष व्रत किसे कहते हैं
हिन्दी पंचांग में में जब द्वादशी और त्रयोदशी तिथियों का संयोग एक ही दिन में बनता है तो उसे प्रदोष व्रत कहा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत में शिव जी और पार्वती जी की विशेष पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.
शिव पूजा से दूर होते हैं कुंडली के दोष
प्रदोष काल सूर्यास्त से शुरू होता है और ये समय शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है, प्रदोष में की गई शिव पूजा से कुंडली के दोष शांत होते हैं. जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों का असर कम होता है. इस दिन शिव जी के मंत्रों का जप जरूर करना चाहिए.
शिवलिंग पर चढ़ाए 15 चीजें
शिव पूजा में जल, दूध, पंचामृत, गंगाजल बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब, दूर्वा, जनेऊ, शहद, चंदन, इत्र, भस्म, चावल जरूर चढ़ाना चाहिए. ये चीजें अर्पित करने के बाद धूप-दीप जलाना चाहिए तत्पश्चात भोग लगाकर और मंत्र जप करना चाहिए.
विशेष प्रिय महिना
सावन महीना शिव जी को विशेष प्रिय महिना है, इस संबंध में मान्यता है कि इसी महीने से देवी पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए तप शुरू किया था, इस कारण ये महीना शिव जी बहुत प्रिय है.