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सिमडेगा/डेस्क: झारखंड के दक्षिण छोर पर स्थित आदिवासी बहुल जिला सिमडेगा में भगवान भोलेनाथ के प्रति लोगो की अटूट आस्था है. सावन के मौके पर यहां भक्तिमय वातावरण में विशेष अनुष्ठान होते है. सिमडेगा में कुछ ऐसे शिवालय हैं जो सिद्धपीठ के रूप में कालांतर से लोगो की आस्था का प्रतिक बने है. करंगागुडी इन्हीं में से एक है, जो कई कालखंड से लोगों की आस्था का प्रतीक है.
सिमडेगा में प्राचीनतम शिवधाम में करंगागुड़ी शिवधाम है का विशेष स्थान है. इसे द्वादशज्योर्तिलिंग का हीं अंश माना जाता है. यहां भोलेनाथ के शिवलिंग को लेकर कई कथाएं हैं. किवदंती है कि 13 वीं सदी में इस क्षेत्र के राजा कोरोंगा देव हुआ करते थे। यहां उन्ही के द्वारा सात तल्ले का शिवलिंग रख कर पूजा किया जाता था. लेकिन कालांतर में सभी शिवलिंग जमींदोज हो गए.
जो बाद में सर्वे के दौरान फिर से लोगो को दिखलाई दिए. कहते हैं कि आज भी एक शिवलिंग जो उपर दिखलाई पडती है. इसके नीचे और छह अरघा सहित शिवलिंग मौजुद हैं. यहां सिमडेगा सहित ओडिसा और छतीसगढ से भी भक्त पंहुचते रहते हैंसावन माह पर यहां विशेष आयोजन होगा. सावन भर यहां भव्य मेले और घार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन रहता होता है. सावन के दौरान यहां झारखंड सहित उड़ीसा और छत्तीसगढ़ से कई भक्त पहुंचकर बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना बाबा भोलेनाथ पूर्ण करते हैं.