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सिमडेगा/डेस्क: लगातार गिरते भूगर्भीय जलस्तर को बढ़ाने की दिशा में सिमडेगा ने अपना कदम बढ़ाते हुए एक अनोखी शुरुआत की है. नगाड़ा बचाओ, जल बचाओ अभियान. इसके तहत श्रमदान से जल संरक्षण का नायब उदाहरण मिल रहा है.
धरती की लगातार बढ़ती, गिरते भूगर्भीय जलस्तर और बढ़ता जलसंकट. अब हमसे कहने लगा है कि हम आज नहीं संभलेंगे तो हमारी आने भविष्य प्यासा रह जाएगा. सिमडेगा के बोलबा प्रखंड से भविष्य के लिए जल संरक्षण करने की अनोखी शुरुआत हुई है. सिमडेगा जिला के कादोपानी पंचायत में एक अनोखा जल संरक्षण अभियान चल रहा है "नगाड़ा बचाओ, जल बचाओ". इस अभियान का उद्देश्य केवल जल संरक्षण नहीं, बल्कि गाँव के हर घर, खेत और परिवार को जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना और भविष्य को सुरक्षित बनाना है. यह अभियान अब एक जन आंदोलन बन चुका है, जिसमें पंचायत के लोग अपने श्रमदान से जल कुंड और तालाब बना रहे हैं ताकि बारिश का पानी बचाया जा सके और जल संकट पर काबू पाया जा सके. खासकर गाँव की महिलाएँ बन रही हैं इस अभियान की प्रेरणास्त्रोत. इस अभियान की सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा गाँव की महिलाएँ निभा रही हैं. वे न सिर्फ जल संरक्षण के लिए काम कर रही हैं, बल्कि मुख्य भूमिका निभा रही हैं. महिलाएँ खुद गड्ढे खोदने, तालाब बनाने और जल बचाने के इस अभियान का हिस्सा बन रही हैं. सुबह से लेकर देर रात तक महिलाएँ धूप में काम कर रही हैं, ताकि बारिश का पानी उनके खेतों में रुके और सूखा न पड़े. यह श्रमदान केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरा गाँव इसके लाभ से समृद्ध होगा. हर दिन नगाड़ा बजाकर सभी अपने खेतों में पहुंचकर जल संरक्षण के लिए गढ्ढे बना रहे हैं.
जलछाजन योजना के तहत ग्रामीण आज श्रमदान कर भविष्य की जल जुगाड में गढ्ढे बना रहे हैं. जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी दानिश मिराज ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा बनाए जा रहे हर जल कुंड में 1000 लीटर पानी संरक्षित किया जा सकता है. इस पंचायत में ग्रामीणों के 108 समूह मिलकर 10 लाख लीटर से अधिक पानी सहेजने की दिशा में काम कर रहे हैं. इसके अलावा जलछाजन के तहत इस पंचायत के 5 गाँवों में बनने वाले तालाबों में लगभग 3 लाख लीटर पानी संरक्षित किया जाएगा. इस तरह, कुल मिलाकर 14 लाख लीटर पानी की बचत की जाएगी, जो न केवल खेती में मदद करेगा, बल्कि पीने के पानी की समस्या को भी हल करेगा. श्रमदान की अनोखी पहल यह अभियान सिर्फ सरकारी प्रयास का हिस्सा नहीं, बल्कि समुदाय की सामूहिक जिम्मेदारी और योगदान का आदर्श उदाहरण है. जिससे आने वाली पीढ़ियाँ स्वस्थ और समृद्ध जीवन जी सकें.
समाज में बदलाव और उम्मीद का नए रास्ते के इस अभियान से गाँव में जल संकट पर काबू पाया जा रहा है. लोग महसूस कर रहे हैं कि अगर पानी को सही तरीके से संरक्षित किया जाए, तो न केवल खेती में सुधार होगा, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी. सिमडेगा डीसी अजय कुमार सिंह ने भी कहा कि इस तरह का प्रयास जल संरक्षण की दिशा में काफी सार्थक होगा. जिससे समृद्ध खेती होगा साथ हीं भूगर्भीय जलस्तर भी बढ़ेगा.
सिमडेगा से उठी जल संरक्षण की ये अनोखी पहल आने वाले समय में पूरे राज्य और देश के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा. जब पूरा राज्य एक आगे आकर जल संरक्षण करेगा तो आने वाले समय में ना सिर्फ हमारा राज्य खेती में उन्नत होगा बल्कि कभी जलसंकट से भी नहीं जूझेगा.